कोरोना काल में फल विक्रय बना आजीविका का आधार

RAKESH SONI

कोरोना काल में फल विक्रय बना आजीविका का आधार

बैतूल:- जिले के विकासखंड चिचोली की ग्राम पंचायत निवारी की श्रीमती नीलू कहार द्वारा एनआरएलएम के सहयोग से कोरोना काल में कोरोना नियमों का पालन करते हुए फल विक्रय का व्यवसाय किया जा रहा है। जिससे उनको एक दिन में 300 से 400 रुपए तक की आय हो रही है। स्व सहायता समूह के माध्यम से कोरोना महामारी के समय में भी नीलू अपनी आजीविका को सशक्त बना रही है।

नीलू के पति पेशे से ड्राइवर हैं एवं इनके परिवार में पांच सदस्य हैं। नीलू के पति की आमदनी से किसी तरह परिवार का भरण-पोषण चल रहा था। आमदनी कम और खर्च अधिक होने के कारण परिवार का भरण-पोषण करने में काफी परेशानी होती थी। नीलू कहार परिवार के पालन-पोषण के लिये गांव में मजदूरी का काम करना शुरू किया, लेकिन उसके बावजूद भी परेशानियां कम नहीं हुई।

नीलू को वर्ष 2019 में आजीविका मिशन के माध्यम से स्व सहायता समूह के महत्व एवं फायदों के बारे में पता चला, जिससे प्रेरित होकर वह गणेश आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ गई। इसी बीच वर्ष 2020-21 मे कोरोना महामारी फैलने के कारण शासन द्वारा 24 मार्च 2020 को सम्पूर्ण जिले में लॉकडाउन लगा दिया गया। जिसके परिणाम स्वरूप नीलू के पति की नौकरी छूट गई एवं उसको भी मजदूरी मिलना मुश्किल हो गया। तब काफी परेशान होने के बाद नीलू ने आजीविका मिशन के ग्राम नोडल से संम्पर्क किया। तब उसे गांव में गठित सांई आजीविका ग्राम संगठन के माध्यम से 20 हजार रूपए का ऋण प्रदाय किया गया। इस राशि से नीलू एवं उसके पति ने मौसमी फल बेचने का व्यवसाय शुरू किया। इनके पति हाथ ठेला में फल रखकर गली-मोहल्ले में जा जाकर बेचने का काम करने लगे एवं नीलू द्वारा अपने घर के सामने एकमुश्त रखकर अपना व्यवसाय शुरू किया। जिसके परिणाम स्वरूप नीलू की आमदनी दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगी। इस प्रकार वर्ष 2020-21 में उन्होंने 20 हजार की लागत से सम्पूर्ण लॉकडाउन अवधि में कुल 85 हजार का व्यवसाय किया। इस तरह से उनकी जिंदगी अच्छी तरह से चलने लगी।

किन्तु पुन: कोरोना महामारी की दूसरी लहर आने के कारण शासन द्वारा अप्रैल 2021 में सम्पूर्ण जिले में जनता कफ्र्यू लगा दिया गया। जिससे पिछले साल की भांति इस साल भी नीलू एवं उसके पति द्वारा कोरोना नियमों का पालन करते हुए फल विक्रय का व्यवसाय किया जा रहा है। जिससे उसकी एक दिन की आय 350 से 400 रूपए हो रही है। इस प्रकार स्वसहायता समूह के माध्यम से कोरोना महामारी के समय में भी नीलू अपनी आजीविका को सशक्त बना रही है। नीलू आजीविका मिशन को धन्यवाद देती है दूसरे अन्य गरीब परिवारों को अपनी स्वयं की आप बीती सुनाते हुए स्वयं सहायता समूह से जुडऩे के लिये प्रेरित कर रही है। नीलू कहती है कि यदि हमारे परिवार को आजीविका मिशन का मार्गदर्शन एवं सहयोग न मिला होता तो हम और हमारा परिवार कोरोना जैसी आपदा के समय में अपनी आजीविका का निर्वाह नहीं कर पाते।

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