कढाईदेव पहाड़ी से गंगावतरण अभियान-8 का शुभारम्भ ।वर्षाजल संरक्षण हेतु 125 श्रमदानियों ने बनाई 50 जल संरचनाएँ ।
दो दिवसीय जल संरक्षण कार्यशाला भारत भारती में सम्पन्न ।
बैतुल। विद्या भारती जनजाति शिक्षा व भारत भारती शिक्षा संस्थान के द्वारा बैतूल जिले में वर्षाजल संरक्षण हेतु चलाये जा रहे गंगावतरण अभियान-8 का प्रारम्भ रविवार को ग्राम टिगरिया की कढाईदेव पहाड़ी पर आधा सैकड़ा खंतिया खोदकर किया गया ।
भारत भारती में आयोजित दो दिवसीय जल प्रबन्धन कार्यशाला के दूसरे दिन प्रातः 6 बजे सभी श्रमदानी गैंची-फावड़ा लेकर पहाड़ी पर पहुँचे व दो घण्टा श्रमदान कर पचास से अधिक खंतियों का निर्माण किया । 2016-17 से प्रारम्भ हुए गंगावतरण अभियान के द्वारा बैतूल जिले की 75 पहाड़ियों पर जनभागीदारी से अभी तक एक लाख से अधिक जल संरचनाओं (खंतियों) का निर्माण किया जा चुका है । जिसके कारण अनेक ग्रामों में जलस्तर में सुधार हुआ है । अभियान के द्वारा जनभागीदारी से बैतूल की सोनाघाटी पहाड़ी को पुनः हरा-भरा करने का सफल प्रयास किया गया है ।
कार्यशाला में 2024 में ग्यारह हजार जल संरचनाओं का निर्माण करने का लक्ष्य तय किया गया है ।
श्रमदान के पश्चात पर्यावरण कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए गंगावतरण अभियान के संयोजक मोहन नागर ने कहा कि हमारा लक्ष्य बैतूल जिले को जलयुक्त बनाना व सतपुड़ा को पुनः घने वनों से आच्छादित करना है । यह काम शासन के साथ जनभागीदारी के द्वारा ही सम्भव है ।
भाऊराव देवरस सेवा न्यास भोपाल के सचिव श्री हरीश शर्मा ने कहा कि जल संरक्षण के क्षेत्र में बैतूल सम्पूर्ण देश का मार्गदर्शन कर रहा है । यहाँ किये जा रहे कार्यों की देशभर में चर्चा हो रही है व लोग अनुसरण कर रहे हैं । जनजाति शिक्षा के प्रान्त प्रमुख श्री रूप सिंह लोहाने, जन अभियान परिषद घोड़ाडोंगरी के ब्लाक समन्वयक श्री संतोष राजपूत, बजरवाड़ा ग्राम के श्री पवन परते ने अपने सम्बोधन में इस अभियान से जन-जन को जोड़ने की अपील की ताकि आने वाले जल संकट का समाधान स्थानीय स्तर पर किया जा सके ।
श्रमदान में प्रमुख रूप से जिला प्रमुख श्री नागोराव सिरसाम, राजेश वर्टी, बाजीराम यादव, भारत भारती से विकास विश्वास, जितेन्द्र तिवारी, मुकेश दवंडे, लोकेश धुर्वे, रामेश्वर नागर सहित विद्या भारती जनजाति शिक्षा के कार्यकर्ता व आसपास के ग्रामीण श्रमदानी सहभागी रहे । सभी का आभार जलशक्ति प्रमुख श्री संजू कवड़े ने माना ।