सिंचित भूमि पर अतिक्रमण से नाराज महिलाओं ने हाथों में उठाई हसिया जेसीबी की बकेट पर खड़ी होकर आदिवासी महिलाओं का प्रदर्शन

RAKESH SONI

सिंचित भूमि पर अतिक्रमण से नाराज महिलाओं ने हाथों में उठाई हसिया

जेसीबी की बकेट पर खड़ी होकर आदिवासी महिलाओं का प्रदर्शन

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सिंचित भूमि पर अतिक्रमण से नाराज महिलाओं ने हाथों में उठाई हसियाजेसीबी की बकेट पर खड़ी होकर आदिवासी महिलाओं का प्रदर्शनइनका कहना है।न्यायालय ने आदेश दिया है की मुआवजा बढ़ोत्तरी के लिए ट्रिब्यूनल में जाना है। निर्णय आने के बाद ही रोड बना सकते हैं। डब्ल्यूसीएल न्यायालय के आदेश को मान रहा है ना ग्रामसभा को मान रहा है। इसी को लेकर यहां विवाद की स्थिति बनी है। बैतूल के पास जो जमीन है। उसकी कीमत प्रति हेक्टेयर 2 करोड़ 20 लाख है। जबकि यहां की जमीन को 5 लाख रुपए हेक्टेयर ले रहे हैं। प्रावधान है की आदिवासी किसान को जमीन के बदले जमीन दी जाए। रोजगार दिया जाए और उचित मुआवजा दिया जाए पर यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा। गांधीग्राम खदान डब्ल्यूसीएल ना चलाकर निजी कंपनी चलाएगी, इसीलिए जमीन के बदले नौकरी की बात नहीं कर रहे।हेमंत सरियाम लीगल एडवाइजरतवा थ्री, गांधीग्राम प्रोजेक्ट के रोड में भोगई खापा पंचायत की निजी जमीन आ रही है। इसी को लेकर डब्ल्यूसीएल और भू स्वामियों में विवाद की स्थिति है। आज सीमांकन होना था। लेकिन ग्रामीणों के प्रदर्शन के चलते नहीं हो सका।डां अभिजीत सिहं एसडीएम शाहपुर

बैतूल /सारनी। भूमिगत कोयला खदान पहुंच मार्ग के लिए सिंचित कृषि भूमि पर सड़क निर्माण से नाराज आदिवासी किसानों ने जेसीबी के सामने खड़े होकर जमकर प्रदर्शन किया। हाथों में हसिया और लाठी लेकर भोगईखापा पंचायत की एक दर्जन से अधिक महिलाएं पुलिस व प्रशासन के समक्ष जेसीबी की बकेट पर खड़ी होकर प्रदर्शन करती रही। इस दौरान किसी को भी खेत में नहीं घुसने दिया। इतना ही नहीं, एसडीएम, तहसीलदार और डब्ल्यूसीएल के अधिकारियों से प्रदर्शन के दौरान कई बार आदिवासी महिलाओं के साथ वाद-विवाद होता रहा। मामले की गंभीरता को देख मौके से पुलिस और प्रशासन को बैरंग लौटना पड़ा। बताया जा रहा है कि खसरा नंबर 244 और 213 में 5.607 हेक्टेयर भूमि डब्ल्यूसीएल की सड़क निर्माण में आ रही है। इसका मुआवजा करीब 48 लाख रुपए आवंटित हुआ है। इसी तरह गांधीग्राम में 9.733 हेक्टेयर भूमि रोड निर्माण में आ रही है। इसके लिए 73 लाख 16 हजार रुपए स्वीकृत हुए हैं। गांधीग्राम और भोगाई खापा में कुछ सड़क निर्माण हो गया है, लेकिन खसरा नंबर 244 और 213 में तीन परिवार की भूमि का विवाद है। यहां के ग्रामीण भगवती सलाम, अनीता और सुगनती कहती है कि खदान खुलने से हमारे खेत खोखले हो जाएंगे और रोड बनने से हमारी कृषि वाली भूमि बेकार हो जाएगी, इसलिए हम जमीन नहीं देंगे। कंपनी अगर जमीन ले भी रही है तो उचित मुआवजा और जमीन के बदले जमीन उपलब्ध कराए। ऐसा नहीं करने पर हम हमारी पुरखों की जमीन नहीं देंगे। प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों को दो टूक शब्दों में कहा कि चाहे प्रशासन हमारे ऊपर बुलडोजर ही क्यों न चला दे। हम हमारी जमीन नहीं देंगे। आदिवासी ग्रामीणों और प्रशासन के बीच करीब तीन घंटे तक विवाद चलता रहता। महिलाएं और बच्चे प्रदर्शन स्थल पर मौजूद होने की वजह से प्रशासन ने कोई कारवाई फिलहाल नहीं की। इस मौके पर चोपना और सारनी पुलिस के आलावा राजस्व और डब्ल्यूसीएल के अधिकारी मौजूद थे। प्रदर्शन के दौरान तहसीलदार आदिवासी महिलाओं को खूब समझाइश देने का प्रयास करती रही, लेकिन बात नहीं बनी।

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इनका कहना है।

न्यायालय ने आदेश दिया है की मुआवजा बढ़ोत्तरी के लिए ट्रिब्यूनल में जाना है। निर्णय आने के बाद ही रोड बना सकते हैं। डब्ल्यूसीएल न्यायालय के आदेश को मान रहा है ना ग्रामसभा को मान रहा है। इसी को लेकर यहां विवाद की स्थिति बनी है। बैतूल के पास जो जमीन है। उसकी कीमत प्रति हेक्टेयर 2 करोड़ 20 लाख है। जबकि यहां की जमीन को 5 लाख रुपए हेक्टेयर ले रहे हैं। प्रावधान है की आदिवासी किसान को जमीन के बदले जमीन दी जाए। रोजगार दिया जाए और उचित मुआवजा दिया जाए पर यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा। गांधीग्राम खदान डब्ल्यूसीएल ना चलाकर निजी कंपनी चलाएगी, इसीलिए जमीन के बदले नौकरी की बात नहीं कर रहे।

हेमंत सरियाम लीगल एडवाइजर

तवा थ्री, गांधीग्राम प्रोजेक्ट के रोड में भोगई खापा पंचायत की निजी जमीन आ रही है। इसी को लेकर डब्ल्यूसीएल और भू स्वामियों में विवाद की स्थिति है। आज सीमांकन होना था। लेकिन ग्रामीणों के प्रदर्शन के चलते नहीं हो सका।

डां अभिजीत सिहं एसडीएम शाहपुर

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