अखिल भारतीय कला साधक संगम का समापन समारोह।

RAKESH SONI

अखिल भारतीय कला साधक संगम का समापन समारोह।

सारनी /बैंगलुरु। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बेंगलुरु के आर्ट ऑफ लिविंग अंतर्राष्ट्रीय सेंटर में संस्कार भारती द्वारा आयोजित चार दिवसीय अखिल भारतीय कला साधक संगम के समापन समारोह में उपस्थित हुए देश के 48 प्रांतों से आये सदस्यों को संबोधित करते हुए डॉ. मोहन भागवत ने कहा, ‘समाज को संस्कृति देने की जिम्मेदारी कला की है, अपने इतिहास का उदाहरण देकर लोगों को अपडेट करना है। यह पूरी दुनिया की जिम्मेदारी है,

जो सत्यम शिवम सुंदरम के एक आदर्श समाज का निर्माण कर सके, तमाम आलोचनाओं के बावजूद भारत ने कला को एक विधा के रूप में उपयोग करते हुए अपने समाज में कल्याण, समानता और सद्भाव स्थापित किया है, तमाम आलोचकों के बावजूद हमने इसे साबित किया है। कहावत है सर्वं कल्विदं ब्रह्म जिसका अर्थ है सभी को स्वयं के रूप में देखना।संस्कार भारती समाज को एकजुट करने में कला और संस्कृति के इस माध्यम का नेतृत्व कर रही है। इस कलासाधक संगम के कलाकारों को इस जिम्मेदारी का एहसास है,

लेकिन कुछ लोग जो व्यक्तिगत कार्यों में लगे हुए हैं, उन्हें इस नेक काम के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। हमारे समाज में समस्याएं हैं और ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर दिया जाना चाहिए, उनके लिए समाधान निकाले जाने चाहिए। वोकिज्म और सांस्कृतिक मार्क्सवाद ने प्राचीन काल से समाज को विभाजित किया है, उन्होंने चेतावनी दी कि एक विचारधारा वाले मुट्ठी भर लोग अपने स्वार्थ के लिए झूठे नेटवर्क का निर्माण करके देश को विघटित करने की कोशिश कर रहे हैं। कर्ताओं को आलोचकों को सत्यम शिवम सुंदरम की ओर ले त में एक ठोस स्थान हासिल किया है, किसी भी पहल के पीछे एक उद्देश्य होता है। उस लक्ष्य को प्राप्त करने के कई रास्ते हैं, लेकिन दिशा नहीं बदलती। स्वराज्य के लिए संघर्ष का उद्देश्य स्पष्ट था। आइए हम सत्य और न्याय के पक्ष में बनाए गए मार्ग से विचलित न हों। इसके लिए साहस और उत्साह की आवश्यकता होती है। लक्ष्य सफल हो या न हो, प्रयास निरंतर जारी रहना चाहिए। किसी संगठन की असली ताकत संख्या में नहीं होती, आर्ट ऑफ लिविंग अंतर्राष्ट्रीय सेंटर बैंगलोर के श्री श्री रविशंकर गुरुजी ने कहा कि हमारी संस्कृति प्राचीन है और निरंतर विकसित हो रही है इसलिए इसे सनातन कहा जाता है।लेकिन हम संगठित नहीं थे।आदि शंकराचार्य ने पूरे देश का भ्रमण कर और चार दिशाओं में चार पीठों की स्थापना कर देश को संगठित करने का प्रयास किया ।अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लोगों को एकजुट करने का काम कर रहा है।उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक देश में आपातकाल के समय तुरंत मदद के लिए आगे आकर संघ द्वारा सिखाए गए संस्कार को दर्शाते हैं। जीवन में शक्ति, भक्ति, युक्ति और मुक्ति आवश्यक है।
कार्यक्रम में संस्कार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष वासुदेव कामत,उपाध्यक्ष मैसूरु मंजूनाथ, नितीश भारद्वाज,महामंत्री अश्विन दलवी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य, अयोध्या के राम लला के आदर्श शिल्पी अरुण योगीराज, शिल्पी जीएल भट्ट सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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