भगवान का परिचय कराने में गुरु ही समर्थ :- धनराज धोटे
सारणी। स्थानीय प्रज्ञापीठ में वार्षिक उत्सव के सुअवसर पर आयोजित गायत्री महायज्ञ के दूसरे दिन गुरु दीक्षा संस्कार के दौरान बैतूल जिले के प्रख्यात प्रज्ञापुराण कथावाचक धनराज धोटे जी महाराज ने बताया कि भगवान का परिचय कराने में यदि कोई समर्थ है तो वह केवल गुरु है सतगुरु मिल जाने पर भी यदि शिष्य में सच्ची श्रद्धा व समर्पण ना हो तो परमात्मा से साक्षात्कार संभव नहीं हो सकता।
पुंसवन संस्कार संपन्न कराते हुए उन्होंने कहा कि उत्तम श्रेष्ठ संतान प्राप्ति के लिए गर्भावस्था के दौरान माता को सात्विक आहार ,आदर्श दिनचर्या, नियमित उपासना, स्वाध्याय, सत्संग आदि करते रहना चाहिए। महापुरुषों के जीवन चरित्र पढ़ना चाहिए तथा प्रसन्न रहना चाहिए इस प्रकार घर में श्रेष्ठ वातावरण रखने से घर में उच्च संस्कारों से युक्त संतान का जन्म होता है।
मंचासीन कुमारी दीक्षा धोटे ने नारी जागरण कन्या कौशल विषय पर अपने विचार रखें उन्होंने बताया कि आज के समय में सहनशीलता की कमी से घर परिवार में रिश्ते बिखर रहे हैं नारी एक ओर कई क्षेत्र में आगे आई है तो दूसरी ओर पाश्चात्य संस्कृति के अनुकरण के कारण नारी अपमान और अत्याचार का शिकार हो रही है इसके लिए अब हमें भारतीय संस्कृति,उसकी मर्यादा और गौरव का ध्यान रखते हुए सुसंस्कारों को अपनाना होगा तभी सही मायने में नारी को सशक्त बनाया जा सकेगा। यज्ञ तथा संस्कार संपन्न कराने के साथ साथ नारी जागरण एवं प्रेरणादायक प्रज्ञा गीत संगीत प्रस्तुति में धर्मराज धोटे व राजा ढोलेकर ने मंच पर उनका सहयोग किया। महायज्ञ के दूसरे दिन सैकड़ों लोगों ने यज्ञ में हिस्सा लिया तथा यज्ञ भगवान को अपनी आहुतियां समर्पित की।