आज़ादी का अमृत महोत्सव
स्वतंत्रता दिवस की 77वीं वर्षगांठ के अवसर पर जाने आज़ादी के नायक की कहानी।
12 वर्ष की आयु में स्वतंत्रता सेनानी डॉ.मोदी ने फूका था टेलीबाई हाई स्कूल
सारनी। पाथाखेड़ा क्षेत्र के 94 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ कृष्णा मोदी द्वारा 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस 1947 से आज तक हुए देश में परिवर्तन पर चर्चा में कहा कि सैकड़ों साल की गुलामी के बाद हमें आजादी यूं ही नहीं मिली। देश के लाखों वीरों ने अपनी शहादत दी है। उनके हौसलों को सलाम, जिन्होंने हंसते-हंसते फांसी के फंदों को चूम लिया। यह सच्चाई है कि आजादी के संघर्ष में किसी राजे-रजवाड़ों, नवाबों और रियासतों ने कुर्बानी नहीं दी। आजादी के दीवाने तो आम आदमी, किसान, मजदूर और छात्र थे। उन्होंने उस दौर के संबंधित जानकारी साझा की जिसमे उनके बताया
*1 डॉ मोदी ने कैसे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था*
सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में अपने गांव वारासिवनी तहसील (जिला बालाघाट) भाग लिया था उस समय उनकी उम्र करीब 12 वर्ष थी । उन्होंने बताया कि हमारे नगर में स्व श्री हरिशंकर बंसीवाले ,मोतीलाल नायक , सी के नायडू , धर्मचंद सोलंकी आदि लोगो ने मुझे आजादी में हिस्सा लेने के प्रेरित किया था। सर्व प्रथम उक्त नेताओ के आह्वान पर 1941के व्यक्तीगत सत्याग्रह में मैंने हिस्सा लिया तब मेरी उम्र कम होने की वजह से 4 दिन बाद मुझे साथी लोगो ने घर वापस कर दिया। 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ों आंदोलन के आह्वान पर सम्पूर्ण देश में उक्त नारे के आधार पर जगह जगह आमसभा ,सरकारी दुकानों पर पिकेटिंग, धरना, जुलूस आदि किया गया जिसके अंतर्गत पुलिस द्वारा गिरफ्तारी शुरू कर दी इसी आंदोलन के दौरान 20 अगस्त को पुलिस द्वारा गोलीचालन में एक व्यक्ति शहीद भी हुआ।
इसी दौरान नगर के कुछ क्रांतिकारियों जिसमे अमर सिंह ठाकुर ने टेली बाई हाई स्कूल में आग लगवाई जो अंग्रेजो के अधीन था । उसके बाद अमर सिंह ठाकुर ने मुझे ले जाकर बालाघाट में मेरे नाना स्व सेठ भूदड़साव जी के घर छोड़ आए। जिसकी खबर मेरे घर वारासिवनी में भी मिली। जब में पुलिस को नही मिलती मेरे दोनो बड़े भाईयो को गिरफ्तार कर जबलपुर जेल भेज दिया गया। 4/5 माह बाद मुझे जब घर की याद आई तो मैं भागकर वारासिवनी आगया।
*2. बालाघाट कलेक्टर और एस.पी ने दी समझाइस*
रेलवे स्टेशन से घर आते वक्त शाम को जब पुलिस ने पकड़ लिया बाद मुझे छोड़ दिया दूसरे दिन सुबह में वारासिवनी पुलिस घर पे आकर पकड़ कर ले गई। थाने में पूछताछ के बाद जेल में बन्द कर दिया । शाम 4 बजे बालाघाट कलेक्टर और एस पी आए मुझे जेल से निकला गया। उनके सामने पेश किया गया और वारासिवनी में आंदोलन के संबध में और स्कूल जलाने के संबध में धमका चमका कर यह कहते हुए की तुम अभी बच्चे हो यदि अब कोई आगे आंदोलन में हिस्सा लोगो तो जेल भेज देंगे। यह कहने के बाद उन्होंने छोड़ दिया।
*3. 15 अगस्त 1947 आज़ादी का जशन कैसे मनाया गया*
अगस्त 1947 के पहले 3 या 4 महीने से देश की आज़ादी के बारे में अंग्रेजो ने देश की प्रमुख राजनैतिक पार्टी कांग्रेस के साथ वार्ता शुरू कर चुकी थी जिसमे तय हुआ की 14/15 अगस्त रात 12 बजे अंग्रेज लोग अपनी सत्ता स्थानांतरण उस समय की भारत की इंटर्म सरकार को सौप देंगे। जिसके प्रमुख पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। 15 अगस्त 1947 को देश के जगह जगह शहरो में , गांव मे झंडो और तौरान के साथ सजाया गया था और दिन के करीब 11 बजे सभी जिला मुख्यालयों एवं तहसील मुख्यालय में स्वतंत्रता अंदोलन में हिस्सा लेने वाले समस्त नागरिकों एवं चुने हुए प्रतिनिधियों को आमंत्रित कर उन्हे शासनों अध्यक्ष द्वारा लोगो का स्वागत किया गया और बताया गया की अब देश में शासन हमारे देशवासियों द्वारा किया जाएगा।
*4. 1947 से 2023 तक बदली भारत के विकास की तस्वीर*
1947 के बाद स्वतंत्र भारत के निर्वाचित हुए सदस्यों ने समय समय पर बैठके लेकर देश के अंदर जहा सुई नही बनती थी उससे लेकर तमाम विकास के अंतर्गत कल कारखाने जैसे भेल भोपाल, भिलाई इस्पात संयंत्र, आदि कारखाने खोले गए जिसके वजह से हमारे देश में मोटर साइकिल, कार,ट्रक , सैनिक विमान , अंतरिक्ष में अपना अधिकार जमाया है। एम्स अस्पताल,बैंको का राष्ट्रीकरण, लघु उद्योग, किसानों , मजदूरों द्वारा देश की अर्थवास्था मजबूत की है। अभी भी हमे स्वस्थ विभाग में कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र और कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने भी भारत का लोहा माना है। 21 वी भारत के नाम होगी इसी आशा के साथ सभी को जय हिंद।