मात्र एक घंटें में सरहदों पर तैनात सैनिकों के लिए बहनों ने बनाई 1275 राखियां
नपा अध्यक्ष और पार्षदों ने आयोजित किया अभूतपूर्व कार्यक्रम-रेशम की डोरी से
बैतूल। नेहरु पार्क में आज उत्सव का माहौल था। दोपहर दो बजे से नगर पालिका अध्यक्ष पार्वती बाई बारस्कर एवं सभी पार्षदों ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत देश की सरहदों पर तैनात सैनिकों के लिए तिरंगा राखी बनाने शनिवार को रेशम की डोरी से कार्यक्रम का आयोजन किया। हालांकि आयोजन के लिए निर्धारित समय पर ही झमाझम बारिश का दौर शुरु हो गया जो करीब एक घंटे तक चलता रहा, बावजूद इसके देश की सेना के लिए राखियां बनाने सैकड़ों की संख्या में नगर के विभिन्न वार्डों से महिलाएं नेहरु पार्क पहुंची।
बारिश थमते ही राखियां बनाने का सिलसिला शुरु और मात्र एक घंटे में एक सैकड़ा से अधिक महिलाओं ने 1 हजार 275 राखियां बना दी। यह राखियां श्रीमती बारस्कर एवं पार्षद आभा श्रीवास्वत, सोमती धुर्वे, कायम कावरे, ममता मालवी, रजनी वर्मा, वर्षा बारस्कर, किरण खातरकर, शोभा निरापुरे, अंजू शर्मा सहित अन्य पार्षदों ने बैतूल सांस्कृतिक से समिति की अध्यक्ष गौरी पदम एवं उनके दल को सौंपी। गौरतलब है कि यह राखियां जहां देश भारत-पाकिस्तान, भारत नेपाल, भारत-चीन, सहित उक्त देशों से लगी 23 सरहदों पर भेजी जाएगी वहीं कुछ राखियां इस बार भारत-तिब्बत-भूटान बार्डर पर तवांग में तैनात सैनिकों के लिए प्रत्यक्ष रुप से ले जाई जाएगी। कार्यक्रम आयोजक पार्वती बाई बारस्कर ने बताया कि देश की सुरक्षा के लिए प्रतिपल तैनात सैनिकों के लिए यह उनकी एवं बैतूल की बहनों, बेटियों की तरफ से रक्षा का बंधन है यह सरहद पर तैनात बेटो के लिए उनका आशीर्वाद और स्नेह है। जिले में पहली बार इस तरह से सैनिकों के लिए सामूहिक तौर पर राखी बनाने का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का संयोजन समाजसेवी ममता कुबड़े द्वारा किया गया।
राखियां बनाकर रोमांचित हुई बहनें
नगर पालिका परिषद बैतूल की अध्यक्ष श्रीमती बारस्कर ने बताया कि देशवासियों को घर-घर तिरंगा लगाने प्रेरित किया जा रहा है। तिरंगा यात्राएं निकाली जा रही है। ऐसे में उन्होंने बैतूल से लगातार 24वें वर्ष में देश की अंतराष्ट्रीय सीमा पर पहुंचकर जवानों के साथ रक्षाबंधन मनाने वाली बहनों को हाथ से बनी तिरंगा राखी भेंट करने का निर्णय लिया, उनकी इस छोटी सी पहल को नगर की महिलाओं का भरपूर सहयोग मिला। शनिवार को वार्ड पार्षदों के आह्वार पर महिलाएं नेहरु पार्क में एकत्रित हुई और तिरंगे के तीन रंगों के मोतियों को रेशम की डोरी में पिरोकर राखियां बनाई। कार्यक्रम में पूर्व सैनिक महिला संगठन, कुन्बी समाज, किराड़ समाज, विश्व मांगल्य सभा, विश्वकर्मा समाज के अलावा विभिन्न सामाजिक संगठन, वार्डों की जागरुक महिलाओ ने उत्साहित होकर राखियां बनाई। यह बहनें तिरंगा राखी बनाकर रोमांचित हो उठी। उनका कहना था कि राखी बनाकर ही गर्व हो रहा है, इसी से हम अंदाजा लगा सकते है कि यह राखियां जो बहने सरहद पर लेकर जाती है और जिन सैनिकों की कलाई पर यह राखियां बंधती है वह कितने भावविभोर हो जाते होंगे। रेशम की डोरी से कार्यक्रम में बहनों से जिनकी वजह से हम सुरक्षित है उन सैनिकों की सुरक्षा की कामना के साथ राखियां बनाई।
बारिश भी नहीं रोक पाई बहनों की राह
नेहरु पार्क में महिलाओं ने झूलों पर, वीर सावरकर एक्सप्रेस, वीर सावकर स्टेशन के प्लेटफार्म एवं पार्क के पथ पर राखियां बनाई। तिरंगे के तीन रंग केसरिया, सफेद और हरे रंग के साथ गोल्डन मोतियों को रेशमी धागें में पिरोकर यह राखियां तैयार की गई। राखियां बनाने का समय दोपहर दो बजे नियत था, लेकिन इस दौरान बारिश हो गई लेकिन बारिश थमते ही कुछ ही मिनटों में शहर भर से महिलाएं पार्क पहुंची। बारिश भी उनकी राह नहीं रोक पाई। उनके हाथ से बनी राखियां सैनिकों की कलाई पर बंधेगी यह जानकर सभी उत्साहित है। कार्यक्रम में बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति के सचिव भारत पदम, उपाध्यक्ष माधुरी पुजारे, सह सचिव ईश्वर सोनी, वरिष्ठ सदस्य अरुण सूर्यवंशी, सदस्य प्रचिति कमाविसदार, मेहर प्रभार परमार, अरुणा पाटनकर, प्रज्ञा झरबड़े, कल्पना तरुडक़र, चेताली गौर को अंत में नगर पालिका अध्यक्ष एवं सभी पार्षदों ने राखियां सौंपी। श्रीमती पदम ने नगर पालिका अध्यक्ष के माध्यम से शहर की बहनों से मिले स्नेह और शुभकामनाओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए आश्वस्त किया कि बहनों के द्वारा बनाई गई हर राखी सरहद तक पहुंचेगी। कार्यक्रम की सफलता में नगर पालिका के स्टाफ का सहयोग प्राप्त हुआ।