केदारनाथ की यात्रा जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से
कोलकाता। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में स्थित है। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग पूरे विश्व में सबसे अधिक लोकप्रिय ज्योतिर्लिंग है और यहां पर विश्व भर से लाखों लोग भगवान केदारनाथ के दर्शन के लिए आते हैं और इन लोगों में केवल हिंदू ही नहीं क्रिश्चियन और यहूदी धर्म के लोग भी आते हैं। उत्तराखंड में भगवान केदारनाथ का ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड के चार धाम यात्रा का एक धाम भी है।ऐसा भी माना जाता है कि केदारनाथ धाम की खोज पांडवों ने कही थी( वह अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए केदारनाथ धाम पहुंचे थे। और केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों ने ही सबसे पहले करवाया था। इसके बाद इसका पुनर्निर्माण आदिशंकराचार्य जी ने करवाया था।प्रतिवर्ष लाखों करोड़ों लोग चार धाम की यात्रा के दौरान केदारनाथ मंदिर में आते हैं और भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग का दर्शन करते हैं। भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का यह धाम अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। बर्फ से ढके हुए केदारनाथ की शोभा अद्भुत है जिसे देखने दुनिया भर के लोग भारत में आते हैं।
सावन में भगवान शिव की पूजा का महत्व
सावन, दक्षिणायन में आता है। जिसके देवता शिव हैं, इसीलिए इन दिनों उन्हीं की आराधना शुभ फलदायक होती है। सावन के दौरान बारिश का मौसम होता है। पुराणों के मुताबिक शिवजी को चढ़ने वाले फूल-पत्ते बारिश में ही आते हैं, इसलिए सावन में शिव पूजा की परंपरा बनी। स्कंद पुराण में भगवान शिव ने सनत्कुमार को सावन महीने के बारे में बताया कि मुझे श्रावण बहुत प्रिय है। इस महीने की हर तिथि व्रत और हर दिन पर्व होता है, इसलिए इस महीने नियम-संयम से रहते हुए पूजा करने से शक्ति और पुण्य बढ़ते हैं।
इस महीने का नाम सावन क्यों
स्कंद और शिव पुराण के हवाले से जानकार इसकी दो वजह बताते हैं। पहली, इस महीने पूर्णिमा तिथि पर श्रवण नक्षत्र होता है। इस नक्षत्र के कारण ही महीने का ये नाम पड़ा।
दूसरी वजह, भगवान शिव ने सनत्कुमार को बताया कि इसका महत्व सुनने के योग्य है। जिससे सिद्धि मिलती है, इसलिए इसे श्रावण कहते हैं। इसमें निर्मलता का गुण होने से ये आकाश के समान है, इसलिए इसे नभा भी कहा गया है।