खाना पकाने के फायदे और नुकशान जानते है डॉ सुमित्रा से – भाग ४
कोलकाता।दालों पर पकाने का प्रभाव, दालों को बहुत अच्छी तरह से पकाया जाना चाहिए। इसका विशेष कारण है। दालों में प्रोटीन अधिक होती है और कार्बोहाइड्रेट कम होता है। दालों में ट्रिप्सिनरोधी पदार्थ होता है जो ट्रिप्सिन एन्जाइम की क्रिया को रोकता है। अपचित कार्बोहाइड्रेट बड़ी आंत में पाए जाने वाले जीवाणुओं द्वारा विघटित हो जाता है और पेट में वायु बनने का कारण बनता है। दालों को खूब उबालने से ट्रिप्सिनरोधी एन्जाइम नष्ट हो जाता इस लिए बहुत आवश्यक है कि दालों को ठीक प्रकार से पकाया जाय।
सब्जियों पर पकाने का प्रभाव
कई प्रकार की सब्जिया है कुछ ज़मीन के नीचे उगते है, कुछ पत्तेदार सब्जिया है, सब के बनाने की प्रक्रिया अलग है।
सब्जियों को काटने से ठीक पहले धोना चाहिए और सब्जियों को पकाने से बहुत पहले काट कर नहीं रखना चाहिए, उन्हें पकाने से ठीक पहले काटना चाहिए। सब्जियों को बड़े टुकड़ों में काटना चाहिए और छोटे टुकड़ों में नहीं काटना चाहिए क्योंकि उनके कटे हुए सिरों से विटामिनों की हानि होती है।
हरी पत्तियों वाली सब्जियाँ का कैलोरी मान कम होता है परंतु इनसे बहुत से विटामिन तथा खनिज उपलब्ध होते हैं। कई सब्जियों को उबालने की विधि से पकाया जाता है पर इसमें विशेष धयान देने की आवस्यकता है।
विशेष ध्यान देने की बात ये है की जिन सब्जियों को उबाल कर बनाया जा रहा है , उन्हें यदि उबालने में अधिक जल का उपयोग किया जाता है तो जल में घुलनशीलता होने से थायामीन, विटामिन सी तथा कुछ खनिजों की हानि हो जाती है। थायामीन भोजन पकाने में सोडियम बाइकार्बोनेट का प्रयोग होने पर भी नष्ट हो जाता है। घरेलू पकाने की विधियों द्वारा विटामिन ए तथा कैरोटीन अधिक प्रभावित नहीं होते।
मूलें और कन्द पर पकाने का प्रभाव
मूल अर्थात जड़ वाली सब्जियों से गीली या सूखी पकाने की विधियों द्वारा अधिक पोषकों की हानि नहीं होती क्योंकि उनकी त्वचा पोषकों के रिसाव को रोक देती है। अतः इन्हें इनकी त्वचा के साबुत बने रहने पर उबालना चाहिए।
आलु में अन्य सब्जियों की अपेक्षा अधिक मात्रा में स्टार्च होता है और इसे ठीक प्रकार से पकाना चाहिए जिससे स्टार्च के दाने फूल कर सेल्यूलोज़ की कोशिका को फोड़ दें। उन्हें बहुत लम्बे समय तक पानी में भिगोकर नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे विटामिनों की हानि होती है। कन्दों को त्वचा के साबुत बने रहने पर पकाने से उनमें पोषक सुरक्षित रहते हैं, परंतु यदि वे पुराने होते हैं तो उनसे एक तीव्र गन्ध भी आती है। खनिज परत को परिरक्षित करने के लिए नये आलुओं को छीलने की बजाय खुरचना चाहिए। कन्दों को धीरे-धीरे पकाना या उबालना चाहिए क्योंकि शीघ्रता से उबालने से उनकी त्वचा फट जाती है।
सब्जियाँ पर पकाने का प्रभाव
खाद्य पदार्थों के मामले में भिन्न सब्जियों में पकाने में एक सावधानी बरतनी चाहिएँ की जाइके के चक्कर में पोषक तत्व का नाश न हो।