खाना पकाने के फायदे और नुकशान जानते है डॉ सुमित्रा जी से – भाग २
कोलकाता। भोजन को पकाने के बाद खाना एक आम प्रक्रिया है। कोई पकाने के लिए ऊष्मा के स्रोत के रूप में लकड़ी या कोयता जलाकर, मिट्टी के तेल या गैस, वैद्युत हीटर द्वारा, वैद्युत ओवन, गर्म प्लेट या एक माइक्रोवेव कूकर का इस्तेमाल करते हैं।परन्तु खाद्य पदार्थ को पकाने के बाद उनमें नए परिवर्तन उत्पन्न हो जाते हैं, इसके फायदे, नुकसान दोनों है।
क्यों पकाते है लोग भोजन ?
पहले आम कारण है की पकाने से हानिकारक सूक्ष्मजीवों, परजीवियों के अण्डों तथा जीवविष नष्ट हो जाते है, खाद्य पदार्थों का रूप उन्नत होता है, भोजन पौष्टिक हो जाता है, वह अधिक क्षुधावर्द्धक एवं स्वादिष्ट हो जाता है, इससे भोजन में सुगन्ध उत्पन्न होती है, खाने को चबाने में आसानी हो जाती है और पाचन क्षमता बढ़ जाती है। खाना बनाते समय तापमान अधिक होने के कारण गर्मी से कोशिकाओं का स्टार्च फूल जाता है जिससे कोशिका फट जाती हैं अतः पाचक एन्जाइम आसानी से स्टार्च को पचाने का काम कर पाते है।
पकने का एक और फायदा गृहणी बता पाएंगी की एक ही भोजन प्रदार्थ से कई प्रकार के भोज्य पदार्थ उपलब्ध हो जाते हैं और कई प्रकार के पकवान तैयार किए जा सकते हैं।
पकाने की विधियाँ
भोजन पकाने की एक नहीं बल्कि नो विधियाँ हैं- एक प्रक्रिया में उबालना पड़ता है , दूसरी प्रक्रिया में भोजन को सिमसिमाना होता है , कई खाने की चीज को सिर्फ भाप से पकाना पड़ता है और कई को सिर्फ सेंकना पड़ता है जैसे की रोटी। कुछ को भुना जाता है जैसे की भुट्टा , कुछ को तला जाता है जैसे की पकोड़ा , कुछ खाने को तंदूर में लोहे की छड़ों पर भूनना जाता है जिसे ग्रिल्लिंग भी कहते है। कुछ खाद्य प्रदार्थ को गरम पानी में तलना होता है , इसे हम पोचिंग भी कहते है। एक और तरह से खाने को पकाया जाता है इसे हम स्टेइंग कहते है। स्टेइंग में धीमी अग्नि में पकाया जाता है।
अनाज पर पकाने के प्रभाव
अनाजों को हम मूलतः कार्बोहाइड्रेट्स और कुछ मात्रा में प्रोटीन के लिए खाते है। अजान के सेल्यूलोज़ की एक कोशिका के अंदर होता है स्टार्च और थोड़ा प्रोटीन भी होता है। ठीक से पकाए गए अनाज कच्चे अनाजों की अपेक्षा आसानी से पच जाते हैं क्यों की अनाज को ठीक प्रकार से पका लेने पर कोशिकाओं की सेल्यूलोज फट जाते है जिससे पाचक रस कोशिकाओं के भीतर स्टार्च तक पहुँच जाते हैं। इसके अतिरिक्त उबालने से स्टार्च के दाने फूल जाते हैं और सेल्यूलोज़ को फोड़ देते हैं। आपने देखा होगा चावल पकाते समय वे अपने भार से दुगने भार का जल अवशोषित कर लेते हैं अतः पके हुए चावलों का भार सूखे चावलों के भार से तिगुना होता है। पर एक धयान देने की बात है – यदि अनाजों को पकाने में अधिक जल का उपयोग किया जाता है तो जल में घुलनशील होने के कारण भोजन से थायामीन की हानि हो जाती है। पकाने के दौरान खाद्य पदार्थ में सोडा बाइकार्ब मिला देने पर भी थायामीन नष्ट हो जाता है। रही बात प्रोटीन की तो – खाना पकाते समय अनाजों की प्रोटीन भी जम जाती है और यह पाचन के लिए सेल्यूलोज़ के फटने पर निर्भर करता है।