खाना पकाने के फायदे और नुकशान जानते है डॉ सुमित्रा जी से – भाग १ 

RAKESH SONI

खाना पकाने के फायदे और नुकशान जानते है डॉ सुमित्रा जी से – भाग १ 

कोलकाता। खाद्य पदार्थों में विद्यमान पोषकों के लिए हम इसे खाते है और खाने के लिए खाने को पकाते भी है। पर ऊष्मा के प्रभाव से भोजन की पाचन क्षमता प्रभावित होती है, इस लिए खाद्य पदार्थों में विद्यमान पोषकों पर ऊष्मा के प्रभाव को जानना आवश्यक है। 

ऊष्मा के प्रभाव से खाद्य पदार्थ के प्रोटीन में क्या परिवर्तन आता है ?

ऊष्मा के प्रभाव से खाद्य पदार्थ के सूक्ष्मजीव, विषैले पदार्थ नष्ट हो जाते हैं।खाद्य पदार्थ में विद्यमान कुछ एन्जाइमों का निष्क्रिय हो जाना।

 

भोजन को गर्म करने या पकाने पर १०४ °फॉरेनहैट या ६० °सेल्सियस तापमान पर प्रोटीन जम जाती हैं। इस तापमान से ऊपर अण्डों के अतिरिक्त जन्तु आहारों की प्रोटीन सिकुड़ जाती है और उसका पाचन कुछ कम हो जाता है। वनस्पति प्रोटीने भी पकाने पर जम जाती है परंतु वे सामान्यतः स्टार्च के साथ पाई जाती हैं जो नम ऊष्मा में फूल जाता है और सेल्यूलोज़ आवरण फट जाता है। इस प्रकार पकाने से सब्जी कोमल हो जाती है और प्रोटीन अधिक पचनीय हो जाती है। सब्जियों से कुछ प्रोटीन की हानि तब होती है जब उन्हें पानी में उबाला जाता है विशेष रूप से जब पकाने में नमक का प्रयोग किया जाता है।

यहाँ समझने वाली दो बातें है की उबलने में पानी का इस्तेमाल प्रोटीन को हनी पहुँचता है और अंडा उच्च तापमान में भी प्रोटीन को संग्रक्षित रख पता है। 

 

ऊष्मा के प्रभाव से खाद्य पदार्थ के वसाओं में क्या परिवर्तन आता है ?

 

वसाओं पर ऊष्मा का इतना अधिक प्रभाव नहीं होता जितना प्रोटीनों तथा कार्बोहाइड्रेटों पर होता है। वसा जो कमरे के तापमान पर ठोस होती है, गर्म करने पर पिघल जाती है। जब वसा को और अधिक गर्म किया जाता है अर्थात् ऊँचे तापमान पर इससे धुआँ निकलना शुरू हो जाता है तब वसा विघटित होना शुरू हो जाती है। स्वाद और गन्ध में परिवर्तन हो जाता है। व

 

ऊष्मा के प्रभाव से खाद्य पदार्थ के कार्बोहाइड्रेटों में क्या परिवर्तन आता है ?

 

कार्बोहाइड्रेट का स्टार्च ऊष्मा से सर्वाधिक प्रभावित होता है। मनुष्य कोशिकाओं में सेल्यूलोज का पाचन नहीं होता है। पकाने में जल का उपयोग किया जाता है तो सेल्यूलोज़ कोमल हो जाती हैं परंतु इसके अतिरिक्त कोशिकाओं के भीतर स्टार्च के दाने जल का अवशोषण करते हैं और फूल जाते हैं तथा अन्ततः सेल्यूलोज फट जाती है जिससे एन्जाइमों द्वारा शीघ्र ही स्टार्च का पाचन हो जाता है और इससे कार्बोहाइड्रेट की पाचन क्षमता बढ़ जाती है। जब स्टार्च पर शुष्क ऊष्मा का प्रयोग होता है तो यह डैक्सट्रिन में खण्डित हो जाता है जिसके कारण सेंके हुए खाद्य पदार्थ का रंग भूरा हो जाता है तथा स्वाद में यह हल्का मीठा हो जाता है।

 

ऊष्मा के प्रभाव से खाद्य पदार्थ के विटामिनों में क्या परिवर्तन आता है ?

 

जब खाद्य पदार्थों को पानी में पकाया जाता है तो विटामिन ए या कैरोटीन पर कोई प्रभाव नहीं होता। परंतु तलने या भूनने में विटामिन ए की काफी हानि होती है।

चावलों और दालों को पकाने से पहले बार-बार रगड़ कर धोने से विटामिन बी – काम्प्लेक्स की ५० % तक हानि हो जाती है जबकि विटामिन सी की ४५ % तक हानि होती है।

विटामिन सी सर्वाधिक गर्मी से नष्ट हो जाने वाला विटामिन है। जो भोजन बनाने या खाना पकाने में शीघ्र ही नष्ट हो जाता है।

 

थायामीन, रिबोफ्लेविन तथा विटामिन के किसी क्षार जैसे सोडियम बाइकार्बोनेट के होने पर नष्ट हो जाते हैं और जल में घुलनशीलता होने से इनकी हानि हो जाती है।

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