भ्रूण हत्या से बड़ा पाप और परोपकार से बड़ा पुण्य नहीं :-पं. राजू महाराज
सलैया के गीता मंदिर में चल रही भागवत कथा, आज पूर्णाहुति के साथ होगा समापन।
सारनी। कलयुग में लोगों को अपने नाम के सुख की चिंता ज्यादा है। इसका परिणाम है कि लोगों के जीवन में दुख और क्लेश बढ़ गए हैं। लोग हमेशा भागदौड और तनाव का जीवन जी रहे हैं। भागवत कथा मनुष्य को आदर्श जीवन जीने की कला सिखाती है। जरूरत है इन ग्रंथों के मर्म को समझने की उक्त बातें ग्राम सलैया बगडोना के गीता मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में प्रवचन के दौरान पं. राजू महाराज ने कही। हमलापुर बैतूल से आए पं. राजू जोशी ने कहा कि भ्रूण हत्या से बड़ा कोई पाप नहीं है और परोपकार से बड़ा कोई पुण्य नहीं।
सलैया के गीता मंदिर में 1 से 7 दिसंबर तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के दौरान मंगलवार 60दिसंबर को श्रीकृष्ण-रुकमणि विवाह का आयोजन किया गया। कथा प्रवचन के दौरान पं. राजू महाराज ने कहा कि घर में बेटी का आगमन लक्ष्मी स्वरूप माना गया है। उन्होंने कहा कि कलयुग में लोग बेटे की चाहत में भ्रूण हत्या कर रहे हैं। बेटा हो या बेटी ये भगवान का प्रसाद होते हैं। उन्होंने कहा कि आज आधुनिकता की होड़ में मनुष्य कृत्रिम साधनों की ओर भाग रहा है। इस भाग-दौड़ की आड़ में वह परिमपिता परमात्मा को भूल बैठा है। इसलिए उन्होंने मनुष्य जीवन में पूजन, पाठ का महत्व बताया। महाराजश्री ने कहा कि भक्ति मार्ग पर चलने से बेहतर एवं तनावमुक्त जीवन जीने की सीख मिलती है। गीता मंदिर सलैया में विश्वकर्मा परिवार द्वारा भागवत कथा का आयोजन किया गया है। कथा में पूजन का कार्य पं. धीरज नाइक कर रहे हैं। कथा का समापन बुधवार 7 दिसंबर को सुदामा चरित्र के पश्चात पूजन, हवन, महाआरती और प्रसाद वितरण के साथ होगा।