बैतूल की बेटियों ने मप्र ब्लाइंड वूमन क्रिकेट टीम की कप्तान, उपकप्तान बनकर चौकाया बल्ला और बॉल थामने वाली बेटियों को मिलेगा मणिकर्णिका सम्मान

RAKESH SONI

बैतूल की बेटियों ने मप्र ब्लाइंड वूमन क्रिकेट टीम की कप्तान, उपकप्तान बनकर चौकाया

बल्ला और बॉल थामने वाली बेटियों को मिलेगा मणिकर्णिका सम्मान

बैतूल। मध्यप्रदेश की पहली ब्लाइंड वूमन क्रिकेट टीम का जब चयन किया गया तब जिले की तीन बेटियों को जिस तरह से टीम में जिम्मेदारी मिली वह चौकाने वाली थी। ब्लाइंड बेटियां में कोई कप्तान बनी तो कोई उप कप्तान। भोपाल में जब अलग-अलग जिलों के 40 खिलाडिय़ों के बीच से 11 खिलाडिय़ों का चयन हुआ तब जिले की दो बेटियों को यह अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि वह इस टीम की कप्तान और उपकप्तान बनेगी। वहीं एक खिलाड़ी को बेटिंग के लिए चुना गया। यह तीनों बेटियों को भी डाटर्स डे पर मणिकर्णिका सम्मान से नवाजा जा रहा है। डाटर्स डे पर जिला मुख्यालय पर प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डॉ वसंत श्रीवास्तव एवं एडव्होकेट नीरजा श्रीवास्तव की सुपुत्री स्व. नेहा अभिषेक श्रीवास्तव की स्मृति में बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति मप्र,बोथरा शॉपिंग मॉल, कांतिशिवा गु्रप, आदित्य होण्डा ग्रुप, होटल आईसीईन एवं जिला पंचायत बैतूल के सदस्य युवा समाजसेवी शैलेन्द्र कुंभारे के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मणिकर्णिका सम्मान-2022 से मप्र ब्लाइंड वुमन क्रिकेट टीम की कप्तान निकिता कनाठे, उपकप्तान रविना यादव एवं खिलाड़ी दीपशिखा महाजन भी सम्मानित होगी। 

संघर्ष की मिसाल शिक्षिका लीला सोनी

जिले के धुडिया पुरानी प्राथमिक शाला में एक शिक्षिका जो बे्रल लिपि से पहले स्वयं अध्ययन करती है और फिर बच्चों को पढ़ाती है। लीला सोनी संघर्ष की मिसाल है, जिसने यह साबित कर दिया है कि शारीरिक विकलांगता कभी भी जीवन के अंधकार का कारण नहीं बन सकती। अंधकार के बीच हमेशा उम्मीद की एक किरण होती है, तलाशना हमें होता है। नेत्रहीन लीला संघर्ष की मिसाल है जिन्होंने अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाया और स्वयं प्रेरणा बन गई। इस वर्ष लीला सोनी को भी मणिकर्णिका सम्मान से नवाजा जा रहा है।

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