पानी के लिये पसीना बहाकर मनाया विश्व पर्यावरण दिवस ।  जामठी के तालाब में दो सौ श्रमदानियों ने श्रमदान से निकाली तीन ट्राली मिट्टी ।

RAKESH SONI

पानी के लिये पसीना बहाकर मनाया विश्व पर्यावरण दिवस 

जामठी के तालाब में दो सौ श्रमदानियों ने श्रमदान से निकाली तीन ट्राली मिट्टी।

बैतुल। 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर वर्षाजल संरक्षण के लिए जामठी के तालाब का गहरीकरण किया गया । भारत भारती में चल रहे प्रशिक्षण में वर्षाजल संरक्षण हेतु विभिन्न जल संरचनाओं के निर्माण की विधियों का प्रशिक्षण कार्यकर्ताओं को दिया जा रहा है। 

आज विश्व पर्यावरण दिवस पर दो सौ से अधिक श्रमदानियों ने प्रातः डेढ़ घण्टा पानी के लिये पसीना बहाया । कार्यकर्ताओं व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आये श्रमदानियों ने तालाब से तीन ट्राली से अधिक मिट्टी निकालकर तालाब का गहरीकरण किया। इस हेतु कार्यकर्ता सूर्योदय के पूर्व ही गैंती-फावड़ा लेकर श्रमदान स्थल पर पहुँचे तथा डेढ़ घण्टा सामूहिक श्रमदान दुनियाँ को सन्देश दिया कि पानी रोकने के लिए पसीना बहाना ही होगा । 

भारत भारती व विद्या भारती एकल विद्यालय के द्वारा आयोजित इस श्रमदान में जनजाति शिक्षा के राष्ट्रीय सह संयोजक श्री बुधपाल सिंह ठाकुर, गंगावतरण अभियान के संयोजक जल प्रहरी मोहन नागर, जनजाति शिक्षा के प्रान्त संयोजक श्री रूपसिंह लोहाने, तरुण भारती संस्था श्री राजेश भदौरिया, श्री सुधीर वाघमारे, भारत भारती आईटीआई के प्राचार्य श्री विकास विश्वास, जिला प्रमुख श्री राजेश वर्टी, श्री बाजीराम यादव, श्री पूरनलाल परते सहित एकल विद्यालय के शिक्षक, आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के श्रमदानियों ने सहभागिता की।

इस अवसर पर श्री बुधपाल सिंह ठाकुर ने वर्षाजल संरक्षण के गीतों के माध्यम से श्रमदानियों का उत्साह बढ़ाया । पर्यावरण दिवस का सन्देश यही है कि भारत सहित आज सम्पूर्ण विश्व जल संकट से जूझ रहा है । जनसंख्या के अनुपात में जल की निरंतर कमी हो रही है । वर्षाजल संरक्षण के पर्याप्त प्रयास नहीं होने से भूमिगत #जल_के_भण्डार सूख रहे हैं । इसके लिए शासन-प्रशासन के साथ जनभागीदारी आवश्यक है । घर का पानी घर में, गाँव का पानी गाँव में, खेत का पानी खेत में, पहाड़ का पानी पहाड़ में रोकने के लिए व्यक्तिगत व सामुहिक स्तर पर विभिन्न छोटी-बड़ी जल संरचनाओं का निर्माण करना होगा।जिसमें वर्षाजल ठहरकर धरती के पेट में जाये। 

हम पिछले दो दशक से यह कार्य कर रहे हैं।अब जल संरक्षण के इस कार्य को जन आन्दोलन बनाना होगा। विश्व पर्यावरण दिवस पर हमें इसका संकल्प करना होगा। अन्त में आभार श्री रूपसिंह लोहाने ने माना ।

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