मनसंगी मंच पर सत्यम जी द्वारा विषय ” बोलती तस्वीर” पर आयोजित प्रतियोगिता मे इंदु धूपिया जी की बेहतरीन् समीक्षा।
सारणी:- मनसंगी साहित्य संगम जिसके संस्थापक अमन राठौर जी सहसंस्थापिका मनीषा कौशल जी अध्यक्ष सत्यम जी के तत्वाधान में काव्यधारा समूह पर आयोजित प्रतियोगिता जिसका विषय *बोलती तस्वीर* रखा गया उसमें कई रचनाकारों ने विभिन्न राज्यों से भाग लिया अपनी स्वरचित रचनाए प्रेषित की समीक्षक का कार्यभार आदरणीय इंदु धूपिया जी ने बखूबी संभाला इन्होंने कहा सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक है जिससे उन्हें चयन करने में काफी समस्या हुई छोटी छोटी बारीकियों को ध्यान में रखकर उन्होंने प्रथम स्थान एस एन सिद्दीकी जी को द्वितीय स्थान वैष्णवी नीमा जी तथा तृतीय स्थान अमरनाथ सोनी जी को इनकी
रचनाएं निन्मवत है।।
हरियाली धरती हरी-भरी
धरती पर रखिए हरियाली हरा-भरा मौसम!
वरना फिर अपने जीवन में भर जायेंगे ग़म।
प्रकृति की सुन्दरता को रखो पूरा ध्यान।
वरना धरती सूखेगी, आँखें कर के नम।
धरती पर रखिए हरियाली हरा-भरा मौसम!
पेड़ बचाओ पेड़ लगाओ, इस नारे को अपनाओ,
ख़ुद भी ऐसे काम करेंगे, बच्चो को भी यही सिखाओ।
प्रकृति फले हम से तो प्रकृति से फले हम।
धरती पर रखिए हरियाली हरा-भरा मौसम!
फ़राज़ (क़लमदराज़)
S.N.Siddiqui
बोल नही सकता मैं
फिर भी दर्द मुझे होता है
हां एक वृक्ष हूं मैं
मन मेरा भी रोता है
बोल ,,,,,,,,,,,,,
जैसे चोट लगती तुम्ही
दर्द तुम्हे होता है
वैसे ही काटते जब मुझे
जख्म से शरीर भरा होता है
बोल ,,,,,,,,,,,
जरूरत पूरी होती मुझसे
फिर भी मुझे तकलीफ देते
आखिर क्यों समझते नही
सजीव हूं मैं मन मेरा भी रोता है
बोल ,,,,,,,,,,,,,,,,,
आंसू निकलते मेरे भी
पर अहसास तुम्हे ना होता है
अपने स्वार्थ हेतु भूले दर्द मेरा
की दर्द मुझे भी होता है
बोल ,,,,,,,,,,,
वैष्णवी नीमा
राजस्थान चौमहला
मुक्तक -बोलती तस्वीर।
मात्रा भार – 30.
चंद्र लोक की यात्रा करके,
वापस मैं घर आया हूँ।
पानी का मैं बोर कराया,
बृक्ष लगाकर आया हूँ।
वहाँ मिलेगी अब आक्सीजन,
प्राण वायु नहि कमी पडे़।
दुनिया वहीं बसाने खातिर,
इंतजाम कर आया हूँ।