कोरोना महामारी के दौर में आटा चक्की बनी गीता की मददगार

RAKESH SONI

कोरोना महामारी के दौर में आटा चक्की बनी गीता की मददगार

बैतूल:- जिले के विकासखण्ड आमला के ग्राम खापाखतेड़ा निवासी गीता का विवाह खेती-किसानी करने वाले विजय देशमुख के साथ हुआ। गीता ने बीए तक शिक्षा प्राप्त की है। खेती-किसानी की साधारण आमदनी से गीता अपने सपनों को पूर्ण करने में असमर्थ थी। वर्ष 2017 में गीता आजीविका मिशन के अन्तर्गत भवानी आजीविका स्व सहायता समूह से जुड़ गई। समूह से जुडक़र गीता ने दो बार में समूह से ऋण के रूप में 65 हजार रूपये प्राप्त किये। उक्त राशि से गीता ने आटा चक्की का कार्य प्रारम्भ किया, जिससे गीता का काम चलने लगा। किन्तु अभी भी गीता को लगा कि काम को और बढ़ाना चाहिए ताकि ज्यादा आमदनी प्राप्त हो सके। इसके बाद गीता ने अपने पति से चर्चा करने के बाद मिशन के माध्यम से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में एक लाख रूपये के ऋण का आवेदन किया। गीता का ऋण आवदेन स्वीकृत हो गया एवं भारतीय स्टेट बैंक, एडीबी आमला के द्वारा गीता को एक लाख रूपये प्रदाय किये गये। उक्त राशि से गीता ने धान कुटाई की मशीन एवं मसाला चक्की भी खरीद ली। उक्त कार्य से गीता को 10 से 12 हजार रूपये की मासिक आमदनी प्राप्त होने लगी।

अप्रैल 2021 से पूरे प्रदेश में कोविड-19 महामारी के फेस-2 के कारण जिले में भी संक्रमण का अत्यधिक प्रसार होने लगा, जिसके कारण शासन द्वारा जनता कफ्र्यू लगा दिया गया जिससे गीता को भी अपनी आटा चक्की मशीन को रोकना पड़ा। गीता के द्वारा ग्राम के अन्य स्व सहायता समूहों की महिलाओं एवं ग्रामवासियों को कोविड के प्रति जागरूक करने एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने एवं अपने-अपने घरों में ही रहने के बारे में बताया जा रहा था। उसी बीच गीता ने देखा कि ग्रामवासी अपना गेहूं पिसवाने के लिए परेशान हो रहे हैं। तब गीता द्वारा उनकी परेशानियों को देखते हुए अपनी आटा चक्की पुन: शुरू कर दी एवं गेहूं पिसाई कर ग्रामवासियों को आटा उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे गीता के परिवार को भी आमदनी हो रही है।

गीता बहुत खुश है और बताती है कि अगर आजीविका मिशन जैसी योजना गांव में नहीं आती, तो मैं अपने परिवार का विकास कभी भी नहीं कर सकती थी। इसके लिए गीता आजीविका मिशन को बार-बार धन्यवाद देती है।

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