संस्कार भारती की ऑनलाइन संगोष्ठी- भाग 6
नाटक लेखन अत्यंत दुष्कर कार्य है:-आलोक चटर्जी

सारनी।भारतेन्दु युग से लेकर आधुनिक युग तक साहित्य की नाटक विधा ने विकास की लंबी यात्रा तय की है , जिसमें समय के अनुसार लेखन में भी परिवर्तन होता रहा है। नाटक लेखन अत्यंत दुष्कर कार्य है। उक्त विचार प्रख्यात साहित्यकार , रंगकर्मी एवं म.प्र.नाट्य विद्यालय भोपाल के निदेशक आलोक चटर्जी ने संस्कार भारती मध्य भारत प्रांत की भोपाल महानगर इकाई द्वारा आन लाइन आयोजित साहित्य संगोष्ठी के छटवें भाग में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। श्री चटर्जी ने नाटक विधा की विकास यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डाला । उन्होंने भारतेंदु से लेकर धर्मवीर भारती तक के समय की प्रमुख नाटक रचनाओं के कुछ संवादों को उद्धृत भी किया और नाटक की विषय-वस्तु और स्वरूप के अंतर को स्पष्ट करते हुए बताया कि 1745 में पहले बंगला ओर मराठी भाषा में नाटक लिखना शुरू हुआ । संगोष्ठी का शुभारंभ दुर्गा मिश्रा द्वारा प्रस्तुत गुरु वंदना और श्रीधर आचार्य द्वारा प्रस्तुत संस्कार भारती के ध्येय गीत के साथ हुआ । ग्वालियरे से मंत्री संगठन अनिता करकरे ने बताया कि रचनाकारों में लेखन और वक्तृत्व कौशल विकसित करने के उद्देश्य से संस्कार भारती द्वारा साहित्य संगोष्ठी का नियमित रूप से साप्ताहिक आयोजन किया जा रहा है। हर बार संगोष्ठी में प्रतिष्ठित दो लेखकों की कृतियों का परिचयात्मक वाचन किया जाता है तत्पश्चात् वरिष्ठ साहित्यकार का मार्गदर्शन होता है। संगोष्ठी में पुस्तक परिचय के क्रम में सबसे पहले घनश्याम मैथिल “अमृत” ने वरिष्ठ लेखिका सुमन ओबेरॉय के नाटक संग्रह “यह भी खूब रही” तथा मधुलिका सक्सेना ने पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की काव्य कृति “मेरी इक्यावन कविताएँ ” का वाचन कर अपने विचार रखे। भोपाल से प्रांतीय साहित्य विधा प्रमुख कुमकुम गुप्ता ने साहित्य संगोष्ठी के आयोजन के उद्देश्य और आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि गतिशील रहना प्रकृति का नियम है , रूकना जड़ता की निशानी है। संगोष्ठी का कुशल संचालन दुर्गा मिश्रा ने तथा युवा कवि राजेन्द्र ” राज ” ने आभार प्रकट किया। इस अवसर पर मध्यभारत प्रांत की विभिन्न इकाईयों से बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं के साथ भोपाल से सुमन ओबेराय, अरूणा शर्मा , दिप्तो नारायण चट्टोपाध्याय, आराध्य वर्मा, विमल विश्वकर्मा , विदिशा से बी एम शाक्य , आनंद नंदेशवर , अनिता तिवारी , मधुलिका सक्सेना , शेख शहजाद उल्ला उस्मानी शिवपुरी , सारनी से दीपक वर्मा , अंबादास सूने , सरिता तिवारी , हरदा से राजेन्द्र प्रसाद तिवारी एवं अनेक सदस्यों ने सहभागिता की।
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