शस्त्र पूजन हमारी पुरातन संस्कृति और परंपरा:- पांडे
सारणी। विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल के सह मंत्री ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि अश्वनी महा के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को शस्त्र पूजन किया जाता है। हिंदू धर्म में यह त्यौहार नवरात्रि का अभिन्न अंग माना जाता है इस दिन सभी अस्त्र-शस्त्र की पूजा करने की मान्यता होती है। शस्त्र पूजन का यह कार्यक्रम विश्व हिंदू परिषद के मुलताई जिले के सभी प्रखंडों में मनाया जाएगा शस्त्र पूजन करना हमारी आधुनिक परंपरा नहीं शस्त्र पूजन हमारी पुरातन परंपराओं में से एक है हमारे पूर्वज हजारों लाखों वर्षों से दशहरे के पर्व पर शस्त्र पूजन करते हैं 9 दिन नौ देवियों की उपासना के बाद शस्त्र पूजन दशहरे में किया जाता है यह परंपरा पुरातन है इसका ज्ञान हमें हमारे देवी देवताओं से प्राप्त होता है। जैसा कि हम देखते हैं हमारी देवी देवताओं के एक हाथ में शस्त्र और एक हाथ में शास्त्र भी होता है जितना हमें शास्त्र का ज्ञान होना चाहिए उतना ही हमें शस्त्र का भी होना चाहिए हमारे पूर्वज भी पहले शस्त्र लेकर ही चला करते थे। शस्त्र पूजन का कार्य विश्व हिंदू परिषद के मध्य भारत प्रांत में ही नहीं अपितु तमिल नाडु तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, उड़ीसा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, यूपी, बिहार सभी जगह विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता बहुत धूम धाम से मनाते है। शस्त्र पूजन के दिन विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता एवं मातृशक्ति पूरी विधि विधान से शस्त्रों को लाल वस्त्र में रख कर के हल्दी कुमकुम से तिलक कर गंगाजल से शुद्धि कर पूजन का कार्य करते हैं। संपूर्ण भारत वर्ष में शस्त्र पूजन का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाएगा।