म.प्र.-छग के कृषि विज्ञान केंद्रों की 28वीं क्षेत्रीय कार्यशाला का केंद्रीय कृषि मंत्री ने किया उद्घाटन
नए कृषि सुधार कानून जैसे ठोस कदम खेती को समृद्धता देने वाले हैं- श्री तोमर
भोपाल। मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ स्थित कृषि विज्ञान केंद्रों (कैवीके) की 28वीं क्षेत्रीय कार्यशाला का उदघाटन सोमवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के यशस्वी नेतृत्व में भारत सरकार गांव-गरीब-किसान-किसानी की प्रगति के लिए प्राथमिकता के साथ काम कर रही है। इस दिशा में कई योजनाएं प्रारंभ की गई है। देशभर में गांव-गांव अधोसंरचना विकसित करने के लिए एक लाख करोड़ रूपए के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड सहित आत्मनिर्भर भारत अभियान में कुल डेढ़ लाख करोड़ रूपए से अधिक के पैकेज शुरू किए गए हैं। हर सप्ताह मंत्रालय में इसकी प्रगति के लिए बैठकें होती है। इसी तरह 6850 करोड़ रू. के खर्च से 10 हजार नए एफपीओ के गठन की स्कीम तथा किसानों के सशक्तिकरण के लिए नए कृषि सुधार कानून जैसे ठोस कदम खेती को समृद्धता देने वाले हैं, ये कृषि विकास में मील का पत्थर साबित होंगे। 86 प्रतिशत छोटे-मझौले किसान इनके माध्यम से और मजबूत होंगे, जिससे देश की भी ताकत बढ़ेगी।
मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि कोरोना के संकटकाल में भी केवीके के वैज्ञानिक, सूचना-संचार तकनीकों एवं कृषि विभाग के साथ मिलकर किसानों को उचित तकनीकों द्वारा लाभ पहुंचा रहे है, जो सराहनीय है। पशु धन एवं मछली पालन के विकास के लिए भी हमारे केवीके पूरे जज्बे के साथ कार्य कर रहे हैं तथा कृषि व सभी सम्बदध क्षेत्रों की सतत प्रगति व किसानों की आय बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। वर्तमान में 723 केवीके, आईसीएआर की इकाइयों, गैर सरकारी संस्थानों व राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा चलाए जा रहे है, जिनसे किसानों को बहुत मदद मिल रही है। अटारी, जबलपुर के तहत म.प्र. व छग में 8 केवीके हैं। 8 में से 28 छग में हैं, जिनमें से 7 नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में है। यहां तमाम चुनौतियों के बीच भी केवीके सुचारू काम कर रहे हैं, इसके लिए उन्होंने सभी वैज्ञानिकों व अन्य स्टाफ को बधाई-शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए ये सभी विंग बहुत जिम्मेदारी के साथ काम कर रहे हैं। केवीके की टीमें जिलों व गांवों तक बखूबी काम कर रही है और कृषि संबंधी विभागों के साथ मिल्रकर विभिन्न कृषि कार्यक्रमों को लागू करने में तकनीकी समर्थन व सामयिक जानकारी उपलब्ध कराने के प्रमुख स्त्रोत के रूप में अहम भूमिका का निर्वाहन कर रही है।
श्री तोमर ने कहा कि देशभर के कुल उत्पादन में मध्य प्रदेश से मुख्य रूप से दलहन, गेहूं व सोयाबीन तथा छत्तीसगढ़ से धान की पैदावार का महत्वपूर्ण योगदान है। संतोष की बात है कि केवीके के माध्यम से क्लस्टर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन व सीड हब द्वारा दलहन की उत्पादकता में बढ़ोतरी की जा रही है। प्रदेश में सोयाबीन फसल के 60 लाख हेक्टेयर में से करीब 35 लाख हेक्टेयर पर ऊंची क्यारी (रेज्ड बेड) तकनीक का उपयोग करके जल संरक्षण द्वारा उत्पादकता बढ़ाई जा रही है, वहीं कडक़नाथ मुर्गी पालन केवीके के प्रयासों से 25 राज्यों में हो रहा है और विदेशों से भी मांग है। श्री तोमर ने कहा कि इन केंद्रों को अधिक उपयोगी व आधुनिक बनाने की इष्टि से एकीकृत कृषि प्रणाली, उन्नत बीज उत्पादन एवं प्रसंस्करण, जल संचयन व सूक्ष्म सिंचाई जैसी महत्वपूर्ण इकाइयां स्थापित की गई है। उन्होंने इसमें राज्य सरकारों की ओर से पूर्ण सहयोग का आग्रह किया, जिससे आगे खेती के क्षेत्र में बड़ा फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि खेती-किसानी की प्रगति में मृदा स्वास्थ्य का अहम योगदान होता है और खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन अनुसार, केवीके द्वारा किसानों को मृदा परीक्षण के संबंध में कार्ड वितरित कर फसलों के अनुरूप पोषक तत्वों के उपयोग की सलाह, प्रदर्शन व प्रशिक्षण द्वारा दी जा रही है, जिससे उन्हें लाभ हो रहा है। यह भी प्रसन्नता की बात है कि युवाओं को खेती की ओर आकर्षित करते हुए अटारी, जबलपुर द्वारा नई परियोजना- ‘आर्या’ म.प्र..छग के 2 केवीके में संचालित की जा रही है, जिसके तहत प्रसंस्करण, मशरूम व लाख उत्पादन, नर्सरी प्रबंधन आदि में 700 से ज्यादा युवाओं ने उद्यम स्थापित किए है। अटारी, जबलपुर में ‘फार्मर फस्र्ट’ परियोजना तीन संस्थानों व चार विश्वविद्यालयों द्वारा चलाई जा रही है। इसके साथ-साथ ‘मेरा गांव-मेरा गौरव’ कार्यक्रम भी म.प्र.-छग के 5 विश्वविद्यालयों व 5 अन्य संस्थानों द्वारा संचालित किया जा रहा है। दलहनी फसलों के बीजों की उपलब्धता वृद्धि हेतु 15 जिलों में सीड हब कार्यक्रम का संचालन केवीके द्वारा किया जा रहा है।
श्री तोमर ने कहा कि नारी कार्यक्रम के जरिये पोषण संवेदन कृषि को बढ़ावा, क्षमता कार्यक्रम द्वारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में कृषि व उद्यमिता विकास, वाटिका कार्यक्रम के माध्यम रोजगारोन्मुखी क्षेत्रीय उत्पादों का मूल्यसंवर्धन कर महिलाओं के सशक्तिकरण के दायित्व निर्वहन में केवीके की अहम भूमिका है। कोरोना के चलते हम सभी को डिजिटल प्लेटफार्म पर काम करना पड़ रहा है और डिजिटल लिटरेसी, मार्केटिंग एवं आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मैकेनाइजेशन लिंग आज की महती आवश्यकता है, इस दिशा में कृषि विज्ञान केंद्रों को सशक्त एवं आधुनिक बनाया जाएगा। केवीके की संरचनाओं को और सुदृढ़ करने व कार्यक्रमों को प्रभावी बनाने की जरूरत महसूस की जाती है। समय की मांग को ध्यान में रखते हुए केवीके द्वारा जैविक व परंपरागत खेती पर भी विशेष प्रशिक्षण आयोजित किए जा रहे हैं, जो निश्चित ही कृषकों को जैविक खेती अपनाने में मददगार होंगे। साथ ही किसानों के कौशल विकास पर जोर देने की जरूरत है। प्रधानमंत्री जी का भी जोर तकनीकों के सहारे विकास करने पर है, जिससे किसानों को फायदा होगा।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने विभिन्न प्रकाशनों का विमोचन किया तथा केवीके, गोविंद नगर, होशंगाबाद में सोयाबीन बीज हब भंडार गृह की आधारशिला रखी। कार्यशाला को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-कृषि विस्तार के उप महानिदेशक डा. ए.के. सिंह व सहायक महानिदेशक डॉ. वी.पी. चहल, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय इम्फाल के कुलपति डा. अनुपम मिश्र, ग्वालियर के कुलपति डॉ. एस.के. राव, जबलपुर के कुलपति डॉ. पी.के. बिसेन, रायपुर के कुलपति डा. एस.के. पाटिल, अमरकंटक के कुलपति प्रो. प्रकाश मणि त्रिपाठी, दुर्ग के डा. एस.पी. इंगोले, आयोजन सचिव व दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव श्री अभय महाजन तथा भाऊ साहब भुस्कुटे स्मृति लोक न्यास-बनखेड़ी के सह संगठन मंत्री श्री अनिल अग्रवाल, अटारी जबलपुर के कार्यवाहक निदेशक डा. श्याम रंजन कुमार सिंह ने भी संबोधित किया।
इस कार्यशाला में विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक, अधिकारी-कर्मचारी तथा किसान बंधु वर्चुअल जुड़े थे।