मध्यप्रदेश में जन कल्याणकारी सरकार नहीं, बल्कि पुलिस सरकार चल रही है। :- महाले
सारनी:- जिस सरकार पर जनता का भरोसा नही होता, वह सरकार पुलिस के बल पर अपना शासन चलाती है। यही कारण है कि पुलिस द्वारा जनता का दमन करने पर, सरकार जनता का नही पुलिस का साथ देती है। जनता पर गोलीचालन, अकारण मारपीट या हमला करने पर अपने को बचाने के लिए पुलिस वाले हमेशा झूठी मेडिकल रिपोर्ट का सहारा लेते है। छिन्दवाड़ा जिले के तामिया थाना क्षेत्र में मड़ालढाना गांव में 12 मई की रात शादी समारोह में थाना प्रभारी एस आई प्रीति मिश्रा अपने दल बल के साथ पहुँची, समाज के सामने पहने हुए जूते से दुल्हन को लात मारकर गिरा दिया, तथा देवी देवताओं को भी लात मारकर अपमानित किया, जिस पर आदिवासी समाज ने आपत्ति जताई तथा सामाजिक लोगों को इसकी जानकारी दी। सामाजिक संगठन एक जुट हुए तथा उन्होंने प्रकरण की सम्पूर्ण जाँच की मांग का ज्ञापन पुलिस अधिक्षक छिन्दवाड़ा को दिया। पुलिस अधिक्षक महोदय ने जाँच कमेठी गठित करने का निर्देश दिया। एएसपी संजू उईके के नेतृत्व में गठित टीम जाँच कर रही है, अगर जाँच ही करवानी थी तो न्यायिक जाँच कमेठी का गठन करना था। पुलिस की शिकायत पर क्या पुलिस वाले सही जाँच रिपोर्ट देंगे? ये प्रश्न आज देश पूछ रहा है। अपना बचाव करने के लिए पुलिस ने एआई प्रीति मिश्रा को नागपुर रेफर कर दिया।
इस तरह की घटना सागर जिले के रहली गांव की भी है, जहाँ कोरोना कफ्र्यू के दौरान बिना मास्क लगाये घूम रहीं माँ-बेटी से पुलिस ने अमानवीयता की। महिला आरक्षक अर्चना डिम्हा और एएसआई ने माँ बेटी दोनों को घसीट घसीट कर पीटा। प्रतिदिन हम पुलिस के इसी तरह के व्यवाहार को देखते चले आ रहे हंै। सम्मान पूर्वक जीवन जीने का हक हमें भारत का संविधान देता है। कानून के समक्ष सब बराबर हैं। आईये हम सब मिलकर जनता के साथ अकारण मारपीट करने वाले पुलिस अधिकारीयों तथा कर्मचारियों पर अपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग करें है , तभी हमारा प्रदेश पुलिस राज्य से निजात पाकर कल्याणकारी राज बन सकता है।