प्रेस की आज़ादी राष्ट्रहित में जरूरी है:- रंजीत सिह
सारनी:- आज विश्व प्रेस स्वतन्त्रता दिवस है।भारत जैसे देश में जो सदियों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा एवं जहाँ गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे पत्रकारों ने अपने राष्ट्रधर्म तथा पत्रकार धर्म का पालन करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए , प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। प्रेस की आजादी से यह बात साबित होती है कि उस देश में अभिव्यक्ति की कितनी स्वतंत्रता है।
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से संरक्षित होती है। वैश्विक स्तर पर प्रेस की आजादी को सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया, जिसे विश्व प्रेस दिवस के रूप में भी जाना जाता है।
मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी कहा जाता है ।लोकतंत्र का यह चौथा स्तम्भ जितनी आजादी से कार्य करेगा उतना ही राष्ट्र एवं उसके नागरिकों के हितों का संरक्षण हो सकेगा। आज वैश्विक महामारी कोरोना में मीडिया जिस तरह अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहा है, वह उल्लेखनीय है। इसी कारण पत्रकारों को भी कोरोना वारियर्स के रूप में उल्लेखित किया गया है।
यूनेस्को द्वारा 1997 से हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज भी दिया जाता है। यह पुरस्कार उस व्यक्ति अथवा संस्थान को दिया जाता है जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो।