थैलेसीमिया-सिकलसेल से पीडि़त बच्चों के लिए चिकित्सकों और स्टॉफ ने किया रक्तदान
थैलेसीमिया-डे पर रक्तपूर्ति नोटबुक की वितरित, बच्चों को वितरित किए गए फल
बैतूल:- अंतर्राष्ट्रीय थैलीसिमिया दिवस के उपलक्ष्य में जिला चिकित्सालय में भर्ती थैलेसीमिया, एनीमिया और सिकलसेल से पीडि़त बच्चों को फल, बिस्किट एवं चॉकलेट वितरित कर उनका उत्साहवर्धन किया गया। साथ ही उन्हें रक्तपूर्ति नोटबुक भी वितरित की गई। इस नोटबुक में समय-समय पर जो ब्लड दिया जाएगा, उसके आंकड़े संधारित किये जाएंगे ।
अंतर्राष्ट्रीय थैलीसिमिया दिवस पर जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ. अशोक बारंगा, वरिष्ठ पैथॉलाजिस्ट डॉ. डब्ल्यूए नागले और ब्लड बैंक की रक्तकोष अधिकारी डॉ. अंकिता सीते एवं स्टॉफ ने थैलेसीमिया, सिकल सेल और एनीमिया से पीडि़त भर्ती बच्चों से मुलाकात की और बच्चों का उत्सावर्धन करने के लिए उन्हें फल, बिस्किट और चॉकलेट वितरित किए, साथ ही ब्लड बैंक द्वारा तैयार की गई रक्तपूर्ति नोटबुक एवं स्वेच्छिक रक्तदान की जानकारी वाला पम्पलेट उन्हें वितरित किया गया। बच्चों को जानकारी दी गई कि जब भी वो जिला चिकित्सालय में भर्ती होंगे, तो वे ये डायरी साथ में लाएंगे, जिसमें उनको दिए जाने वाले रक्त की जानकारी अंकित की जाएगी। इस नोटबुक के संधारित होने से यह पता चल सकेगा कि बच्चे को या मरीज को कब-कब रक्त दिया गया है और उसे कितने दिन में रक्त की आवश्यकता होती है। इस हिसाब से इन मरीजों के लिए ब्लड बैंक में रक्त की उपलब्धता की जाएगी।
जिला चिकित्सालय बैतूल में थैलीसिमिया, सिकलसेल और एनीमिया से पीडि़त बच्चों को समय-समय पर रक्त की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा गर्भवती माताओं, क्रोनिक एनीमिया, निजी अस्पतालों के साथ वर्तमान में कोविड मरीजों को भी ब्लड की आवश्यकता पड़ रही है। इसको लेकर थैलीसिमिया और सिकलसेल के मरीजों के लिए एवं रक्तदाताओं के उत्साहवर्धन के लिए जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों एवं स्टाफ ने भी आज रक्तदान किया।
रक्तदान करने वालों में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जगदीश घोरे. डॉ अंकिता सीते, स्टाफ में श्रीमती अनिता लोखंडे, श्री मूरतलाल उइके, श्री राहुल श्री सतीश देशमुख, श्री निलेश जावलकर, श्री ललित, श्री अविनाश, श्रीमती बबीता, श्रीमती अलका गलफट, श्री मुकेश कुमरे, श्री राजेश बोरखेड़े, श्री एम.निवारे सहित अन्य स्टाफ के लोगों ने रक्तदान किया। रक्तदान शिविर में ब्लड बैंक के स्टाफ में श्रीमती विजिया पोटफोड़े, श्री रमेश जैन, श्रीमती पद्मा पंवार, श्रीमती नौनी बाई ने सहयोग प्रदान किया।
डॉ. बारंगा ने बताया कि सिकलसेल, एनीमिया और थैलेसीमिया के जिले में लगभग 350 मरीज है। इस बीमारी से बच्चे ही ज्यादा पीडि़त होते है। इन्हें 2 माह में एक या दो बार ब्लड लग जाता है। उस हिसाब से साल में इन्हें 8 बार ब्लड लगता है और पूरे मरीजों के हिसाब से एक साल में 2800 यूनिट के लगभग ब्लड की जरूरत होती है। इन बच्चों के पालक का ब्लड इसलिए नहीं लिया जाता है, क्योंकि वे भी इसी बीमारी से पीड़ित रहते है। इसके अलावा गर्भवती माताओं को एक साल में लगभग 2 हजार यूनिट ब्लड लगता है। इसके साथ ही क्रोनिक एनीमिया पीड़ित मरीजों को भी एक साल में लगभग 800 यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है।
डॉ. अंकिता सीते ने बताया कि ब्लड बैंक से निजी अस्पतालों में एक साल में लगभग 1500 यूनिट ब्लड भेजा जाता है। इस हिसाब से एक साल में लगभग 7000 यूनिट ब्लड की आवश्यकता है, जिसकी पूर्ति बैतूल जिले के रक्तदाता करते हैं। वैसे भी जिले के रक्तदाता हमेशा रक्तदान के लिए तत्पर रहते है और उनके कारण जरूरतमंद मरीजों की जान बचती है।
सिविल सर्जन डॉ. अशोक बारंगा ने बताया कि विश्व थैलेसिमिया दिवस को हम जागरूकता के लिए मनाते हैं । थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है, जो माता-पिता से बच्चों को होती है। इसमें बच्चों को समय-समय पर ब्लड लगाना पड़ता है, इसलिए इन पीडि़त बच्चों के लिए ब्लड बैंक की रक्तकोष अधिकारी सहित डॉक्टर और स्टाफ ने रक्तदान किया है।