गायत्री महायज्ञ में संपन्न हुआ आदर्श विवाह
वर वधु पक्ष को समझाएं विवाह के आदर्श और सिद्धांत।

सारणी। स्थानीय गायत्री प्रज्ञा पीठ में जारी नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ में 1 जोड़े का आदर्श विवाह संपन्न हुआ यज्ञ संचालन टोली के पंडित रूपलाल महाराज ने वर-वधू को विवाह के आदर्श समझाते हुए बताया कि वे जिस प्रसन्नता से विवाह में एक सूत्र में बंध रहे हैं जीवन भर एक गाड़ी में लगे पहिए की तरह प्रसन्नता पूर्वक साथ चलते रहे विवाह दो आत्माओं का पवित्र बंधन है जो वर-वधू दोनों को लौकिक और आध्यात्मिक जीवन में आगे बढ़ाने में सहायक और जीवन का एक महत्वपूर्ण संस्कार है किंतु रूप श्रृंगार, वेश विन्यास दहेज और वैभव प्रदर्शन की वस्तु बना दिया गया है उन्होंने कहा कि वर पक्ष को उदारता बरतते हुए बिना दहेज विवाह करना चाहिए ताकि उनके कारण वधू पक्ष के परिवार को किसी तरह का कर्जदार ना होना पड़े वधु को घर की लक्ष्मी कहा गया है अतः वर पक्ष का नैतिक कर्तव्य बनता है कि जिस घर से लक्ष्मी स्वरूप बहू का आगमन होने वाला है वह परिवार कर्ज और संकट में ना डूब जाए वह परिवार जिसने अपनी कन्या हमेशा के लिए तुम्हें सौंप दी है उसे दुख और कर्ज के बोझ से और अधिक परेशानी में ढकेल देना कहां की बुद्धिमानी है उन्होंने वर वधु पक्षों के रिश्तेदारों एवं यज्ञ में उपस्थित सभी धर्म प्रेमी जनों से विवाह के आदर्श एवं नैतिक मूल्यों कायम रखने का आग्रह किया