कोरोना काल में सब्जी व्यवसाय बना आजीविका का आधार सच्ची कहानी फूलवंती की जुबानी

RAKESH SONI

कोरोना काल में सब्जी व्यवसाय बना आजीविका का आधार सच्ची कहानी फूलवंती की जुबानी

बैतूल:- जिले के विकासखण्ड शाहपुर के ग्राम पावरझण्डा निवासी श्रीमती फूलवंती धुर्वे अपने पति श्री कृष्णा धुर्वे के साथ खेती-किसानी करके अपने परिवार का भरण पोषण करतीं थीं, किन्तु परंपरागत खेती से फूलवंती के परिवार को इतनी आय नहीं हो पाती थी कि जिससे उनके परिवार का भरण पोषण अच्छे ढंग से हो सके। इसके बाद आजीविका मिशन के माध्यम से फूलवंती को समूह के बारे में पता चला और वह सन् 2018 में शिव शंकर आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ गई।

फूलवंती ने बताया कि उनके यहां जमीन तो थी, परंतु सिंचाई हेतु पानी के अभाव के कारण, वह बारिश के अलावा कोई फसल नहीं हो पाती थी। जिसके कारण उसके परिवार को सामान्य जरुरतें भी पूरी करने के लिए परेशान होना पड़ता था। स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद समूह की बैठक में उसे मनरेगा योजनान्तर्गत कपिलधारा कूप निर्माण के बारे में पता चला। इसके बाद फूलवंती ने अपनी पंचायत में जाकर कपिलधारा कुआं निर्माण के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को पूर्ण किया। इसके बाद पंचायत द्वारा फूलवंती को कपिलधारा कूप निर्माण की स्वीकृति प्रदान कर दी गई।

कूप निर्माण के साथ ही फूलवंती की किस्मत ने तो मानो करवट ही बदल दी। अब आजीविका मिशन के माध्यम से उसे सब्जी उत्पादन एवं खेती का तकनीकी ज्ञान भी आजीविका मिशन की कृषि सीआरपी के माध्यम से मिलने लगा। उसने पहले चरण में एक एकड़ जमीन में सब्जी उत्पादन का कार्य शुरू किया, जिसके लिये उसने समूह से 12000 रूपये का ऋण लिया। दो माह बाद जैसे ही सब्जी निकलने लगी, उसके यहां प्रति सप्ताह कम से कम 2200 रूपये तक की आय होने लगी। वह अपने पति के साथ साप्ताहिक हाट बाजारों में दुकान लगाकर सब्जियां बेचती थी। इस प्रकार उसे 8500 से 9000 की मासिक आय होने लगी।
अप्रैल 2021 में कोरोना महामारी के दौरान सम्पूर्ण जिले में जनता कर्फ्यू लगा दिया गया एवं हाट बाजार लगाने पर पाबंदी लगा दी गई। जिसके कारण फूलवंती को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लेकिन कहते हैं कि ‘जहां चाह-वहां राह’ इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए फूलवंती ने कोरोना कर्फ्यू के दौरान अपने ग्राम के साथ-साथ आस-पास के ग्रामों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए घर-घर में सब्जी उपलब्ध करवाना शुरू कर दिया। जिससे उसकी आजीविका फिर से चलने लगी। फूलवंती कहती है कि मैं और मेरा परिवार आजीविका मिशन का सदैव आभारी रहेगा। अगर समय पर मैं समूह में न जुड़ी होती तो मैं न मुझे जानकारी होती, न आगे बढ़ पाती।

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