कमलजीत कुमार जी की समीक्षा पर केटी दादलानी, सीमेन सिद्धिकी, अमरनाथ ,पूजा नीमा चयनित हुए।

RAKESH SONI

कमलजीत कुमार जी की समीक्षा पर केटी दादलानी, सीमेन सिद्धिकी, अमरनाथ ,पूजा नीमा चयनित हुए।

सारनी:- मनसंगी काव्यधार समूह पर आयोजित प्रतियोगिता बोलती तस्वीर में कमलजीत कुमार जी जिनका निवास कोटा में है समीक्षक का कार्यभार संभाला और उन्होंने चार रचनाएं चुनी जिसमे प्रथम स्थान पर केटी दादलानी , द्वितीय स्थान पर सीमेन सिद्दीकी, तृतीय स्थान पर अमरनाथ सोनी अमर जी विशिष्ठ स्थान पूजा नीमा जी को दिया। सभी रचनाए आपका समक्ष प्रस्तुत है।

समतुक

प्रेम सावन में चमन मन का खिला
सुख अनोखा आज जीवन में मिला

*आस कोई भी नहीं मन में फले
*सोम रस प्याला मुझे बस तू पिला

अब समय को रोक लूं जो बस चले
जीत जाऊं प्रेम का अदभुत किला

डर नहीं तलवार या तूफान से
है अडिग ही प्रेम सच्चा ना हिला

है युगों से दीप ये जलता रहा
प्रेम पावन का अमर है सिलसिला

केटी दादलाणी
भोपाल

साथ रहो
**********

तुम साथ रहो, मेरे पास रहो!
यूंही थामे सदा मेरा हाथ रहो।
मैं बन के तुम्हारा दिल धड़कू,
तुम सीने में सांसों सा बहो।

तेरे साथ से ही मिलती है ख़ुशी,
तू साथ है तो, लगे दुनिया हसीं,
मुझे बांहों में, यूंही थामे रहो,
रहूं मैं भी सदा बांहों में यूंही।

मेरी बातें ही बस क्या सुनना,
अपने भी कुछ अहसास कहो।
तुम साथ रहो, मेरे पास रहो!
यूंही थामे सदा मेरा हाथ रहो।

फ़राज़ (क़लमदराज़)
S.N.Siddiqui
@seen_9807

बिधा-मुक्तक!
विषय- बोलती तस्वीर!
मात्रा भार- 30.

बहुत दिनों से बिछडे़ साजन,
आज मिलन बेला आई!
आज समा पिय मेरे बाहें,
आज मिलन की ॠतु आई!
यह बसंत मधुमास नजारा,
तनिक नअच्छे लगते थे!
आप बिना हम ब्याकुल रहती,
अच्छे दिन आये सांई!!

पिया मिलन में गम सब भूली,
खुशियाँ का इजहार करे!
एक दूसरे को सहलाकर,
अपना-अपना प्यार भरे !
सात जन्म का साथ निभाने,
पिय बिदेश से घर आये!
सफल प्रतीक्षा हुई नारि की,
अब खुश की बौछार भरे!!

अमरनाथ सोनी “अमर “

 

किसी की ख्वाइश किसी की तक़दीर हो तुम
एक बोलती हुई तस्वीर हो तुम।

कई दफे देखा है मैंने जिसे
मेरे हाथोंं की लकीर हो तुम।

एक बोलती हुई तस्वीर हो तुम

खुदा ने बड़ी फुर्सत में बनाया है तुम्हें
मेरे लिए कोहिनूर हो तुम।

कहीं दफा देखा है मैंने जिसे ख्वाबो में
तुम्हारे लिए मैंं रांझा और मेरे लिए हीर हो तुम।

हर वक़्त तड़प सी रहती हैं तुम्हें पाने की
जिगर में उतरी हुई तीर हो तुम।

कई दफा कहना चाहा तुम्हें पर कह नहीं सका
मेरी पहली और आखरी मोहब्बत हो तुम।

खुश रहता हूँ जिसे देख कर में हर वक़्त
मेरी खुशी की वजह हो तुम।

जीता हूँ तुम्हे हस्ता हुआ देख कर
मेरे जीने की वजह है तुम।

दिन रात जिसे में खुदा से मांगता हूँ
मेरी पहली और आखरी दुआ हो तुम

एक बोलती हुई तस्वीर हो तुम
मेरी जिंदगी मेरी हीर है तुम।

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