आन्दोलन का पहला चरण में 6 अप्रैल को किया कार्य बहिष्कार
सारनी। विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण के विरोध में मध्यप्रदेश यूनाइटेड फोरम फार एमपलाइज एंड इंजीनियर्स द्वारा एक दिन का सांकेतिक कार्य का बहिष्कार किया गया। यूनाइटेड फोरम के संयोजक सोनू प्रताप पांडे, अभियंता संघ के हिरेश तिवारी ओर विद्युत मंडल कर्मचारी यूनियन के क्षेत्रीय महामंत्री अंबादास सूने, फेडरेशन के मोहन सोनी, तकनीकी संघ के बीआर घोड़की, आईटीआई एसोसिएशन वीएन बारस्कर, एलआर धोटे ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि मध्य प्रदेश यूनाइटेड के आव्हान पर सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरोध में यूनाइटेड फोरम के घटक संगठनो ने कार्य बहिष्कार किया, जो सफल रहा। मध्यप्रदेश के बिजली कंपनीयो के निजीकरण के विरोध में पूरे प्रदेश में असंतोष है। कर्मचारी यूनियनो ने सरकार को चेताया कि उनकी मांगो का समाधान नहीं किया तो आगामी 22 अप्रेल से 24 अप्रैल तक लगातार कार्य बहिष्कार आन्दोलन किया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा वितरण कंपनियों के निजीकरण एवं जारी स्टैण्डर्ड बिड डाकयूमेट को मध्य प्रदेश में लागू नहीं किया जाए। प्रदेश में कार्यरत सभी संविदा कर्मचारी, अधिकारीयो को बिहार एवं आंध्रप्रदेश सरकार की तरह नियमित करना। “मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल के कार्मिको को पेंशन की सुनिश्चित व्यवस्था उत्तर प्रदेश शासन की तरह, गारंटी लेकर पेंशन ट्रेजरी से दी जाए। अधिकारी, कर्मचारीयो की O3 वेतन विसंगतियों को दूर करना। कंपनी कैडर के कार्मिको को एवं संविदा कर्मीयो को 50 प्रतिशत साथ ही सेवा निवृत्त कार्मिकों को 25 प्रतिशत विद्युत छुट देना। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्थगित किये गये महंगाई भत्ते ओर वार्षिक वेतन वृद्धि को लागू कर भुगतान किया जावे। इस मौके पर फोरम के संयोजक सोनू प्रताप पांडे ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि पूरे प्रदेश में सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के कारण असंतोष हैं। समय रहते सरकार यूनाइटेड फोरम के साथ चर्चा कर निजीकरण को रोकना चाहिए , निजीकरण आम उपभोक्ताओ के हित में नहीं हैं। मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम जनरेशन सारनी के प्रचार सचिव अंबादास सूने ने कंपनी अथवा मंडल के कार्मिको को एकजुट होकर संघर्ष करने की अपील की। तभी हम अपने बिजली उधोग को निजीकरण से एवं अपनी सुविधाओ को बचा सकते हैं।