आखिर चर्चे में क्यों है सतपुड़ा जलाशय स्वच्छता अभियान कमलेश सिंह
सारनी।बैतूल जिले के सारनी में स्थित सतपुडा जलाशय इन दिनों काफी चर्चे में है। कभी अपनी खूबसूरती के लिए देश दुनिया मे मशहूर यह बांध जलीय खर पतवार की वजह से दुर्दशा का शिकार हो चुका है। इस जलाशय को ख़र पतवार से मुक्त करने के उद्देश्य से सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा शुरू किया गया अभियान सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है। इस अभियान को नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं पर्यावरण विद मोहन नागर। श्री नागर बैतूल जिले में जल संरक्षण के लिए वर्षो से काम कर रहे हैं। उन्हें भारत सरकार के जल मंत्रालय द्वारा जल प्रहरी के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
सारनी में सतपुडा जलाशय का निर्माण सतपुडा ताप विद्युत गृह के स्थापना के समय सन 1965 में हुआ था। सतपुडा ताप विद्युत गृह के संचालन के लिए पानी की आपूर्ति इसी बांध से होती है। प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों को बिजली से रौशन करने में इस बांध की बड़ी भूमिका रही है। न सिर्फ बिजली उत्पादन बल्कि लाखों लोगों की प्यास बुझाने वाला सतपुडा जलाशय सारनी की जीवन रेखा है। सैलानियों के लिए खूबसूरत पर्यटन स्थल और सैकड़ो मछुआरों के लिए आजीविका का आधार है। सन 1917 में एक अनजान किस्म की जलीय खर पतवार ने इस जलाशय को संकट में डाल दिया। कोई इस खर पतवार को चाइनीज झालर कहता है तो कोई साल्विनिया मोस्टा। सन 2018 में जब आधा से अधिक हिस्सा खर पतवार से ढंक गया तो स्थानीय मीडिया,प्रकृति प्रेमी एवं आम जनता का ध्यान सतपुडा जलाशय की ओर गया। तब तक काफी देर हो चुकी थी। मप्र पावर जनरेटिंग कम्पनी ने डेम के 10 प्रतिशत हिस्से की सफाई हेतु निविदा निकाली लेकिन सफलता नही मिली। नए नए विधायक बने डॉ योगेश पण्डागरे ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया।
6 फरवरी 2021 की तारीख इस जलाशय के लिए वरदान साबित हुई। स्थानीय कार्यकर्ताओं के आग्रह पर जल प्रहरी मोहन नागर सतपुडा जलाशय को देखने सारनी पहुंचे। जलाशय की स्थिति देखने के बाद श्री नागर ने जलाशय को जन भागीदारी से स्वच्छ बनाने का आह्वान किया और कुछ मात्रा में जलीय खर पतवार निकालकर उसी समय प्रतीकात्मक रूप से इस अभियान को शुरू कर दिया। 9 फरवरी को सतपुडा जलाशय के छठ घाट पर सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक बैठक आहूत की गई। दो दर्जन संगठन के सैकड़ो प्रतिनिधि,आम नागरिक और बड़ी संख्या में मछुवारा समुदाय के लोग इस बैठक में शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में सामूहिक श्रमदान से जलाशय को स्वच्छ बनाने का संकल्प व्यक्त किया। कई सुझाव आए। मोहन नागर ने भावनात्मक उद्बोधन दिया जिसका जन मानस पर काफी असर पड़ा।सभी की सहमति से यह तय हुआ कि बसन्त पंचमी के बाद 21 फरवरी से इस अभियान को विधिवत रूप से प्रारंभ किया जाए।
21 फरवरी 2021 को अल सुबह ही सैकड़ो लोग सतपुडा जलाशय की ओर चल पड़े। बैकुण्ठ धाम आश्रम के महंत संगीत दास जी की मौजूदगी में श्री मोहन नागर , बुधपाल सिंह ठाकुर एवं अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पूजा अर्चना कर इस अभियान को प्रारंभ किया। सांसद दुर्गादास उइके, विधायक डॉ योगेश पण्डागरे, पूर्व सांसद हेमन्त खण्डेलवाल,भाजपा जिला अध्यक्ष आदित्य शुक्ला, नपा अध्यक्ष आशा भारती सहित कई जनप्रतिनिधि,समाज सेवी एवं गण्यमान्य नागरिक इस अभियान के शुभारंभ बेला के सहभागी एवं साक्षी बने। सैकड़ो लोगों ने श्रमदान किया और 35 ट्राली खर पतवार जलाशय से बाहर निकाला। मछुआरों द्वारा सुझाई गई महाजाल की तरकीब काफी कारगर साबित हुई। प्रति रविवार श्रमदान के लिए संगठनों में होड़ सी मच गई। 6 सप्ताह में सैकड़ो ट्राली मलवा डेम से बाहर निकाला जाने लगा।लोग जुड़ते गए कारवां बढ़ता गया। खास बात यह रही कि इस अभियान की गूंज लोकसभा और विधानसभा में सुनाई दी। विधायक डॉ योगेश पण्डागरे ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण लगाया तो सांसद दुर्गादास उइके ने इस मुद्दे को संसद में जोर शोर से उठाया। फिलहाल कोरोना के बढ़ते संकट और बैतूल जिले में लॉक डाउन की वजह से यह अभियान स्थगित है लेकिन अभियान से जुड़े कार्यकर्ता आगे की रणनीति बनाने में जुटे हैं। सतपुडा जलाशय स्वच्छता अभियान डेम के एक बड़े हिस्से को स्वच्छ बनाने के साथ साथ राज्य और केंद्र का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहा है। मोहन नागर कहते हैं कि सैकड़ो नए तालाब खुदवाने से अच्छा है कि इस एक बड़े जलाशय को बचाया जाए। इस धरोहर को बचाने के लिए समाज के सभी लोगों को आगे आना चाहिए।