सांझवीर टाइम्स प्रकाशक बैतूल पत्रकार पंकज सोनी पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्र पत्रकारिता की लेखनी पर पुलिस प्रशासन के द्वारा दबाव की कार्यवाहीं का रवैया लोकतंत्र की हत्या के समान हैं।

RAKESH SONI

सांझवीर टाइम्स प्रकाशक बैतूल पत्रकार पंकज सोनी पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्र पत्रकारिता की लेखनी पर पुलिस प्रशासन के द्वारा दबाव की कार्यवाहीं का रवैया लोकतंत्र की हत्या के समान हैं।

सारणी। बैतूल के पुलिस विभाग की कुछ सांकेतिक खबरों को प्रकाशित करने के बाद अब बैतूल के गणमान्य पत्रकार पंकज सोनी के ऊपर पुलिस प्रशासन की दबाव की रणनीति शुरू हुई है सांझवीर टाइम्स में अन्य अखबारों की तरह गपीश पर आधारित कॉलम गुफ्तगू में पुलिस विभाग के दो मामले अलग-अलग दिन प्रकाशित किए गए थे इस पूरे कॉलम की खासियत यह है कि पूरे मामले में गणमान्य पत्रकार के द्वारा कहीं भी किसी का नाम को प्रकाशित नहीं किया गया लेकिन इससे पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया अब विभाग के अधिकारी इस खबर की वास्तविकता जानने के लिए अखबार के संपादक को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए दबाव बना रहे हैं इसमें ताज्जुब करने वाली बात यह है विभाग के कर्मचारी जिस दिन शाम को नोटिस दे रहे हैं उसी दिन जवाब देने के लिए यहां से 35/40 किलोमीटर दूर बैतूल से शाहपुर भी बुला रहे हैं इस बात से ये साफ जाहिर होता है कि पुलिस अपने विभाग की गपीश की खबर प्रकाशित होने के बाद संपादक पर दबाव बनाने का लगातार प्रयास कर रही है जिस प्रकार सांझवीर टाइम्स बैतूल ने 4 जून को अपने चिर परिचित कॉलम गुफ्तगू में 25 लाख की डीलिंग खटाई में शीर्षक से और 7 जून को चार लाख की वसूली बनी साहब की गले की हड्डी शीर्षक से गपीश अपने कॉलम में लगाई थी इस तरह की राष्ट्रीय प्रादेशिक और स्थानीय अखबारों के अलावा इस तरह की गपीश की खबरें अक्सर प्रकाशित हुआ करती है और इन खबरों में ना तो किसी का नाम का उल्लेख रहता है।4 जून और 7 जून को गुफ्तगू का पुलिस विभाग में क्या असर हुआ यह तो विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ही बेहतर समझ सकते हैं जिन्हें इस प्रकार की गुफ्तगू की खबर में अपनी कौन सी हकीकत सामने नजर आई जो पत्रकार पंकज सोनी को नोटिस जारी कर दिया और यदि पुलिस ने सिर्फ बयान देने के लिए बुलाया है तो पत्रकार अपनी स्वेच्छा से भी जा सकता है लेकिन तत्काल बयान देने के लिए पत्रकार पर दबाव बनाना पत्रकारिता जगत के लिए भी न्याय संगत नहीं हैं इससे बिना किसी गुनाह के किसी सम्मानित पत्रकार को नोटिस जारी करना लोकतंत्र की हत्या के समान हैं ये दमनकारी नीतियों के तहत बिना किसी कारण के मानसिक प्रताड़ना देने जैसा कृत्य हैं। जब पंकज सोनी की कलम में पुलिस प्रशासन के किसी अधिकारी या कर्मचारी का नाम का उल्लेख ही नहीं तो उन्होंने किस आधार पर उन्हें नोटिस जारी किया पुलिस प्रशासन के ऊपर भी अब ये एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा हो रहा है या तो पुलिस प्रशासन ने ये माना की समाचार पत्र में प्रकाशित खबर से उनका कोई वास्ता है और यदि इस खबर को लेकर किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा शिकायत की गई है तो प्रशासन नोटिस जारी कर बयान के लिए पुलिस प्रशासन को बुलाने का पूर्ण अधिकार है बशर्ते बिना किसी व्यक्ति के शिकायत के सिर्फ अखबार में
गपीश लगने पर बैतूल के पत्रकार को नोटिस देना और उससे बयान के लिए बुलाने का अधिकार कोई कानून नहीं देता ये सलीका पूर्ण रूप से एक स्वतंत्र गणमान्य पत्रकार के साथ न्याय संगत नहीं है इससे पत्रकार बंधु पर पुलिस प्रशासन की हिटलर शाही की तर्ज़ पर जवाब के दबाव बनाना बेहद निंदनीय हैं पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हैं जनता की आवाज़ हैं अगर उस पर भी उसकी कलम पर बिना किसी आधार के शिकंजा कसा जाएगा तो फिर अपराध,भ्रष्टाचार,रोजगार आम जनता की मूलभूत अधिकार की सच की आवाज को कौन उठाएगा सरकार की व्यवस्थाओं को जनता के बीच कौन लाएगा बैतूल के समस्त गणमान्य वरिष्ठ पत्रकारों ने कल सांसद और संभागीय पुलिस कमिश्नर को इस विषय से अवगत भी कराया आम आदमी पार्टी जिला बैतूल प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी से नम्र अनुरोध करती हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वतंत्र लेखनी पर जो जिला बैतूल में पत्रकार बंधु पंकज सोनी पर पुलिस प्रशासन के द्वारा नोटिस जारी कर बयान के लिए मानसिक दबाव बनाया गया हैं वो पत्रकारिता जगत के लिए उचित नहीं हैं हमने भी उस अखबार को पढ़ा उसमें निजी तौर पर किसी भी पुलिस प्रशासन के अधिकारी,कर्मचारी का नाम का उल्लेख नहीं किया गया हैं हमारा अनुरोध हैं कि सांझवीर टाइम्स बैतूल के संपादक पंकज सोनी जी के साथ उचित सम्मानजनक व्यवहार किया जाए इस तरह का दमनकारी नीतियों के तहत कार्यवाही करना पत्रकारों के लिए और किसी भी आम नागरिक के लिए न्यायसंगत नहीं हैं।

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