जीवन और गति का दूसरा नाम छंद है – महेश जैन
अनवरत परिश्रम का पर्याय बन रही “दिव्यालय -एक साहित्यिक यात्रा” पटल की संस्थापिका आ. व्यंजना आनंद ‘मिथ्या’ एवम प्रमुख संपादक आ. अमन राठौर ‘मन’ के अथक प्रयत्नों का सुखद फल विगत दिवस शिवरात्रि के शुभ अवसर पर ज़ूम पर भव्य विमोचन के ज़रिए
*छंदों का इंद्रधनुष* त्रैमासिक पत्रिका के रूप में सामने आया।
सर्वप्रथम संस्थापिका व्यंजना आनंद जी ने अतिथियों का पटल पर स्वागत किया। संचालिका आ. मंजिरी निधि जी ने सभी अतिथियों का परिचय दिया। आ. अतिथि विजय बागरी जी एवम अध्यक्ष आ. महेश जैन जी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवम माल्यार्पण द्वारा कार्यक्रम का शुभरम्भ किया गया। आ.सुषमा शर्मा जी ने सुमधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। ततपश्चात व्यंजना आनंद जी द्वारा दिव्यालय एक साहित्यिक यात्रा के उद्भव एवम त्रैमासिक पत्रिका छंदों का इंद्रधनुष के विचार को मूर्त रूप में लाने के संघर्ष से परिचित करवाया।
प्रमुख संपादक आ. अमन राठौर ‘मन’ द्वारा पत्रिका को वर्चुअल पटल पर प्रस्तुत किया गया
सुंदर कलेवर और मुखपृष्ठ की पत्रिका ने मन मोह लिया। आ. विजय बागरी ‘विजय’ के मुख्य आतिथ्य एवम आ.महेश जैन ”ज्योति’ की अध्यक्षता में इसका विमोचन किया गया।
मुख्य अतिथि आ. विजय बागरी जी ने दिव्यालय परिवार के इस सारस्वत अभियान को अपनी बधाई शुभकामनाएं देते हुए आशीर्वचनों से आप्यायित किया। आगे उन्होंने छंद की सूक्ष्म बारीकियों पर प्रकाश भी डाला।
अपने सारगर्भित उदबोधन में आ. महेश जैन जी ने छंद के उद्गम को ब्रम्हांड के उद्गम अर्थात नाद से जोड़ते हुए बताया कि चेतन जगत में प्रवाह के आरोह अवरोह के डालने के प्रयत्न को ही छंद कहते हैं। जीवन एवम गति छंद के ही दूसरे नाम हैं।
इस अवसर पर अध्यक्ष समीक्षक एवम सह संपादक आ. राजकुमार छापड़िया , पटल उपाध्यक्ष आ. मंजिरी निधि सचिव आ. नरेंद्र वैष्णव ‘सक्ति’, अलंकरण प्रमुख राजश्री शर्मा आ. पद्माक्षि शुक्ला आचार्या आनंदकल्याणमया आदि उपस्थित विद्वत जनों ने भी संबोधित किया। इस भव्य विमोचन में अनुराधा पारे, सुचिता नेगी, श्रद्धा चौरे, संध्या पारे, रश्मि मोयदे, लता सोनवंशी,मेधा जोशी, निशा अतुल्य, सुनीता परसाई, पुष्पा निर्मल, मेनका महतो, प्रेम शर्मा, शिव कुमार श्रीवास आदि बड़ी संख्या में छंद प्रेमी विद्वत जन उपस्थित थे।
पत्रिका में मुक्तामणि छंद, कुंडलियाँ, सिंगाजी के पदों में गुरु महिमा मत्त गयंदसवैया, गीतिका छंद, दोहे, नवगीत, नर दोहे, मनहरण घनाक्षरी , भुजंगप्रयात एवम अन्यान्य विधाओं की कुल 38 उत्कृष्ट रचनाएँ सम्मिलित की गई हैं।
अंत में पटल अध्यक्ष आ. राजकुमार छापड़िया जी ने सभी का इस कार्यक्रम को भव्य एवम सफल बनाने के लिए हृदय से आभार व्यक्त किया।