कोयले की कालाबाजारी का बड़ा भष्ट्राचार
गुजरात की फैक्ट्रियों के नाम से आवंटित कोयले की ब्रिकी मध्यप्रदेश में,ट्रक ओनर्स एसोसिएशन ने किया विरोध
सारनी। कोल व्यापारियों एवं कोल प्रतिनिधियों द्वारा सारणी एवं पाथाखेड़ा के मोटर मालिकों को प्रताड़ित करने को लेकर कालीमाई ट्रक ओनर्स एसोसिएशन ने बैठक कर विरोध जताया है और काली माई ट्रक ओनर्स एसोसिएशन ने बैतूल जिलाधीश, पुलिस अधीक्षक बैतूल, शाहपुर एसडीएम घोड़ाडोंगरी तहसीलदार, मुख्य महाप्रबंधक वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड पाथाखेड़ा, सीएमडी वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड नागपुर, वाणिज्य कर विभाग बैतूल, थाना सारणी पाथाखेड़ा चौकी को पत्र लिखकर जांच की मांग की। वही काली माई ट्रक ओनर्स के अध्यक्ष संतोष राजेश एवं सचिव रमेश सिंह ने बताया कि प्रति गाड़ी 7000 रुपये से 9000 रुपये तक वसूला जा रहा है। अगर कोई गाड़ी वाला पैसा नहीं देता है तो उसकी गाड़ी नहीं लगाई जा रही है। दो माह पहले व्यापारी कोल प्रतिनिधियों द्वारा तय किया गया था कि जो भाड़ा तय है उस से कम नहीं नहीं लगाएंगे। लेकिन बारिश का बहाना बताकर प्रति टन 200 से 250 रुपये प्रति टन का भाड़ा कम कर बाहर की गाड़ी लगा रहे हैं। और लोकल की गाड़ियों को कोल खदानों की पर्ची नहीं दे रहे हैं। और स्पष्ट कह रहे हैं अगर आप गुपचुप गाड़ी नहीं लगायेगें तो लोकल की गाड़ी नहीं लगेगी। तो भाड़े से कम में गाड़ी लगाकर 200 से 250 रुपये प्रति टन की वसूली व्यापारियों द्वारा ली जा रही है। जो वसूली लगभग 7000 रूपये से 9000 रूपये तक हो रही है। भाड़ा चालान पूरा बनता है और परंतु 200 से ढाई 250 रुपये प्रति टन की कटौती कर पेमेंट भुगतान किया जाता है। जिसकी कोई भी ना तो रसीद मिलती है ना कोई पावती दी जाती है। डीजल की कीमतों के कारण अन्य संस्थान से भाड़ा बढा है। लेकिन हम लोगों को कोरोना काल में राहत देने की बजाय यहां के मोटर मालिकों का शोषण किया जा रहा है। खदानों में गाड़ी को सात आठ दिन खड़ा कर छटाई करवा कर अपनी क्वालिटी बना रहे हैं। और इस कार्य में वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के अधिकारियों द्वारा व्यापारियों को पूरा सहयोग किया जा रहा है। प्रतिबंधित क्षेत्र से बाहर के व्यक्तियों को अंदर जाना सख्त मना है लेकिन व्यापारियों एवं अधिकारियों की मिलीभगत से बाहर की लेबर को छपाई का काम करवा रहे हैं। पूर्व में भी इसकी शिकायत वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड प्रबंधन से की थी। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है। जो गलत है। अगर लेबर को कोई हानि होती है तो उसकी जवाबदारी भी नहीं ले रहे हैं। जिसको लेकर कालीमाई ट्रक ओनर्स एसोसिएशन विरोध करते हुए इसे तत्काल बंद करवाने की मांग करता है। इन सब कामों में परासिया के दो कॉल प्रतिनिधियों का विशेष योगदान है इनके नाम से कोयला आता है पर इन लोगों के द्वारा कोयला अलग-अलग क्षेत्रों में बेचा जा रहा है। इनकी भाड़ा चिट्ठी एवं भाड़ा चालान की जांच की जाए। तो पता चलेगा कि भोपाल इंदौर के आसपास यहां माल ईटा,भट्टों पर बेचा जा रहा है। यह सभी पेपर फैक्ट्रियों के नाम से आवंटित होते हैं। जो कम रेट पर होते हैं और व्यापारियों इसी का फायदा लेकर मार्केट में बेचकर मोटा फायदा उठाते हैं। जो पूरी तरह जांच का विषय है और एक तरह से गलत भी है। इससे जो व्यापारी ट्रेडिंग का काम करता है उसे भी नुकसान उठाना पड़ रहा है और उद्योग के नाम पर से जो कोयला आवंटित होता है वह गुजरात का है। आज दिनांक तक एक भी गाड़ी गुजरात नहीं लगाई गई है। उसी के नाम से व्यापारी द्वारा पूरी तरह कोयले की काली बाजारी क्षेत्र में कर रहे हैं इसका पूर्ण रिकॉर्ड निकाला जाए तो पता चलेगा कितना बड़ा भ्रष्टाचार एवं कोयले की कालाबाजारी हो रही है। और इस कोयले की कालाबाजारी का कालीमाई ट्रक ओनर्स एसोसिएशन पूरी तरह विरोध करता है और इस पूरे मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग करता है ताकि इस कोयले की कालाबाजारी को खत्म कर दोषियों को सामने लाया जा सके। वही ज्ञापन सौंपने वालों में रमेश सिंह,मुख्तार अंसारी,चंद्रभान चौहान, देवानंद सिंह, कमलेश बारपेटे, बंटी साहू, गजेंद्र सिंह, प्रेमलाल बारपेटे, आमिर खान जुनेद अंसारी, विक्की डोलेकर, विजय नागवंशी, विमलेश, लल्लन यादव मुख्य रूप से मौजूद रहे।
सवाल – कोयले की कालाबाजारी पर
क्या व्यापारियों द्वारा खुले की कालाबाजारी पूरे क्षेत्र में की जा रही ?
1.क्या साउथ गुजरात के नाम से कोयला आवंटित होता है और वह पूरे मध्यप्रदेश में बेचा जा रहा है वह गुजरात की फैक्ट्रियों में नहीं जाता है।
2. क्या अतुल लिमिटेड द्वारा भी इस प्रकार की कोयला लेकर उसे पूरे मध्यप्रदेश में बेचा जा रहा है।
3. क्या कटिया बाद के नाम से जो कोयला जाता है वह फैक्ट्रियों में ना जाकर मध्यप्रदेश में बेचा जाता है।