आशा, ऊषा और सहयोगिनी कार्यकताओं की जायज़ मांगों को जाहिर खुला समर्थन:-महाले
सारणी। जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं सहित शहरी, ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना काल में भी आशा, ऊषा और सहयोगिनी कार्यकताओं ने अपनी जान जोखिम में डालकर कर अपने कर्त्तव्य का निर्वाह किया जो की किसे से छुपा नहीं है। कम सुरक्षा संसाधनों एवं बगैर सम्मानजनक पारिश्रमिक के स्वास्थ्य सेवाओं मे उत्कर्ष कार्य जमीनी स्तर पर किया। मगर आज तक हमेशा इन जमीनों योद्धाओं की उपेक्षा सरकारी ने की इनकी परेशानीयो, मांगों की ध्यान नहीं दिया, नहीं ही कभी उनकी सुध ली नहीं, उनकी मांगों चर्चा करना भी उचित नहीं समझा। सन 2005 एन. एच. एम. के अन्तर्गत कुशाल एवं प्रशिक्षित स्वस्थ सेवा प्रदाता आशा ऊषा और सहयोगिनी कार्यकताओं ने कोविड 19 महामारी मे भी अपनी और परिवार की चिन्ता न करते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। कोरोना काल में देखने मे भी आया है कि स्वास्थ्य सेवाओं मे कर्मचारियों जमीनी स्तर कार्य को लेकर पुरा सिस्टम धराशायी हो गया था तब भी आशा, ऊषा और सहयोगिनी कार्यकताओं ने आपनी जान जोखिम में डालकर कर काम है अत उनकी जायज मांगे की उन्हे कर्मचारियों का दर्जा दिया जाये। 18 हजार कार्यकर्ता और सहयोगिनी कार्यकताओं को 24 हजार मानदेह दिया जाये, और वही कोरोना 19 में किसी कार्यकताओं के और परिवार का सम्पूर्ण बिमारी का खर्च शासकीय के खर्च पर हो, एवं वही प्रोत्साहन राशी सहित प्रशंसा पत्र, वहीं मृत्यु होने पर परिवार को अनुकम्पा नियुक्ति नौकरी दी जाये, वहीं कार्यकर्ता पर हमले अभद्रता मामले पर त्वरित कार्रवाई हो। एक एक आशा, ऊषा और सहयोगिनी कार्यकताओं कार्यकर्ता 15 से 20 गावों का भ्रमण करती है शासकीय कर्मचारियों जैसे उन्हे भी यात्रा भता निधारित किया जाये , कार्य अवधि में दौरान मृत्यु अपंग, विकलांगता के शासकीय कर्मचारियों की भाती भरण-पोषण पोषण हेतु पेंशन सहित 5 लाख समाजिक सुरक्षा निधी के रुप में एक मुश्त राशी दि जाये। वहीं दुर्घटना वह प्रसव अवधि सहित मेडिकल बिलों पेश करने पर शासकीय कर्मचारियों जैसे लाभ मिले। एवं सभी शासकीय अवकाश लाभ दिया जाये। एड राकेश महाले ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री वहां स्वस्थ मंत्री को ईमेल के माध्यम से पत्र लिख कर आश, ऊषा और सहयोगिनी कार्यकताओं की जायज मांगों को अवगत कराया है वहीं सालों से जमीन स्तर पर कार्य करने वाली इन कार्यकताओं की उपेक्षा करना बंद कर तत्काल प्रभाव से सभी जायज मांगों को निराकरण करें ताकि इनका समाजिक सुरक्षा सहित अन्य लाभ मिले और वह उत्साह के साथ समाज के अन्तिम छेर के व्यक्ति को हर सम्भव शासकीय लाभ पहुचा सके।